Tuesday, May 17, 2011

चौथे स्तम्भ को संविधान में स्थान देने की मांग


भोपाल:- राधावल्लभ शारदा को नेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्टस के राष्ट्रीय सेकेट्री जनरल निर्वाचित होने पर वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन की भोपाल इकाई द्वारा एक वाहन रैली का अयोजन किया गया। इस रैली में फेडरेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवकुमार शर्मा (दिल्ली) राष्ट्रीय पार्षद कु. योगिता यादव (भोपाल) एवं कु.भावना बिष्ट (होशंगाबाद) विशेष रूप से उपस्थित थे। रैली में प्रदेश के विभिन्न जिलों से पत्रकारों ने अपनी-अपनी भागीदारी की।
वही राष्ट्रीय सेकेट्री जनरल श्री राधावल्लभ शारदा  ने अपने सम्बोधन में बताया कि चौथे स्तम्भ को भारतीय संविधान में स्थान देने, वेज बोर्ड एवं प्रेस कांऊसिंल को कानूनी अधिकार देने, पत्रकारों पर हमले, झूठी शिकायतों पर प्रकरण दर्ज, वेज बोर्ड की अनुशंसा अनुरूप वेतन दिलाना, प्रिंट, इलेक्टिानिक मीडिया एवं न्यूज पोर्टल के पत्रकारों की आचार संहिता एवं उनकी सुरक्षा, पेंशन केन्द्र एवं राज्य सरकारे छोटे एवं मझोले दैनिक, नियमित प्रकाशित सप्ताहिक समाचार पत्र, मासिक पत्रिकाओं के आर्थिक स्तर में सुधार हेतु नियमित विज्ञापन देने की मांग रखी।
वही प्रदेश से आए विभिन्न जिलों से जिला ईकाईयों के पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रदेश कार्यालय से वाहन रैली का आयोजन किया। वाहन रैली प्रेस काम्पलेक्स से होते हुए जनसम्पर्क कार्यालय पहुंची। वही प्रेस काम्पलेक्स में दैनिक भास्कर परिवार, नव प्रभात परिवार से आदित्य नारायण उपाध्याय, समय जगत के सम्पादक अग्निहोत्री एवं स्टाफ, देशबन्धु परिवार, तत्पर मैग्जीन से महेन्द्र सिंह चौहान, भोपाल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष सुरेन्द्र नाथ सिंह जी एवं भाजपा के कार्यकर्ताओं ने नवयुक्त राष्ट्रीय सेकेट्री जनरल श्री शारदा जी का फूल मालाओं से स्वागत किया। वही जनसम्पर्क कार्यालय में भी काफी संख्या में लोगों ने स्वागत किया। कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित में भोपाल ईकाई के जिलाध्यक्ष भुवनेश्वर दयाल शर्मा, रायसेन जिला अध्यक्ष जगदीश जोशी, प्रदेश सचिव संजय जैन, प्रांतीय कार्यसमिति सदस्य निर्मल पचौरी एवं शांतनु शर्मा, महेश नागर, आंनद शर्मा, सलिल मालवीय, संजय कपूर, कमल राठी, पुष्पेन्द्र सिंह सैंगर, महेश नागर, अरविन्द शुक्ला, डॉ. शशि तिवारी सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए पदाधिकारीगण एवं सदस्यगण मौजूद थे।

भाजपा सरकार पत्रकारों का हित सोचती और करती है- शारदा


भोपाल: 03/05/2011। भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं जनसम्पर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने विगत वर्षो में पत्रकारों के हित के लिये बहुत कुछ किया है और बहुत कुछ करने की योजनाओं पर गंभीरता से चिंतन कर रहे है। उक्त बात वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष एवं नेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्टस के राष्ट्रीय सेकेट्री जनरल राधावल्लभ शारदा ने भोपाल में सम्पन्न बैठक में कही। उन्होंने कहा कि वर्षो पूर्व पत्रकारों को सरकार आवास, स्वास्थ्य, राज्य परिवहन की यात्री बसों में नि:शुल्क यात्रा, विश्राम भवन, विश्राम गृह में निम्रतम किराये पर रूकने की व्यवस्था आदि सुविधाएं मिलती थी परन्तु अचानक सारी सुविधा समाप्त हो गई।
वर्ष 2003 में भाजपा ने राज्य में अपनी सरकार बनाई। तब से लेकर आज तक इस सरकार ने भोपाल में पत्रकारों को आवास हेतु दो गृह निर्माण संस्थाओं को भूमि आवंटित की। प्रदेश के कई जिलों में प्रेस क्लब के लिये भूमि एवं अनुदान दिया। पत्रकारों को पत्रकार कल्याण कोष से पूर्व में रू. 20 हजार तक मिलता था उसे बढ़ाकर रू. 50 हजार तथा गंभीर बीमारी पर रू. एक लाख तक दिया जा रहा है। अधिमान्यता नियमों को सरल करते हुये तहसील स्तर के पत्रकारों को अधिमान्यता दी जाने लगी। तहसील स्तर की अधिमान्यता के लिये मालिक अथवा संपादक की अनुशंशा के स्थान पर जिला सम्पर्क अधिकारी की अनुशंशा कर दी है। साप्ताहिक, मासिक एवं छोटे समाचार पत्रों को आवेदन देने पर विज्ञापन मिलने लगें। अब विज्ञापन के एवज में अमानत के रूप में बैंक ड्राफ्ट नहीं लगता। अधिमान्यता प्राप्त, पत्रकारों को टोल टेक्स नहीं लगता जिसकी घोषणा बजट सत्र में मंत्री जनसम्पर्क लक्ष्मीकांत शर्मा ने की जो लागू है।
पत्रकार, फोटोग्राफर, केमरामेन, के लिये सरकार द्वारा दुर्घटना बीमा रू. एक लाख तक का किया जाना है जो गजट में प्रकाशन हेतु भेजा जा चुका है। इस बीमा योजना में पत्रकार 25 प्रतिशत तथा शेष 75 प्रतिशत जन सम्पर्क विभाग याने राज्य सरकार द्वारा दी जायेगी। यह बीमा 21 वर्ष से 70 वर्ष तक की उम्र के लिये लागू होगी।
सरकार उन असहाय पत्रकारों जिनकी आय के श्रोत नही है और 65 वर्ष से अधिक उम्र है को आर्थिक मदद करने के लिये भी विचार कर रही है। इस योजना का नाम श्रद्धा निधि हो सकता है।
इतना ही नहीं ग्रामीण एवं जिले के पत्रकारों को प्रशिक्षण देने हेतु कार्यशालाएं आयोजित कर रही है। इसके अलावा समय-समय अन्य विषयों पर भी विचार किया जाता है। जैसे त्रैमासिक बैठकों का आयोजन।

पत्रकारों को अपनी सुरक्षा स्वयं करनी होगी-शारदा


भोपाल: मध्यप्रदेश में पिछले पांच वर्षो में पत्रकारों पर विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज है। इन पत्रकारों की संख्या लगभग 500 से अधिक है। राज्य सरकार के गृह विभाग के वर्ष 1986-95 एवं 2005 एवं 6 जनवरी 2010 के आदेशों के अनुसार पत्रकार के विरूद्ध शिकायत पर पुलिस अधीक्षक अथवा उप महानिरीक्षक द्वारा जांच की जानी चाहिये परन्तु उपलब्ध दस्तावेजों को देखने के बाद स्पष्ट है कि पुलिसकर्मी गृह विभाग के आदेश को मानने तैयार नही है और ऐसे प्रकरणों की जांच सब इन्सपेक्टर तक के अधिकारी से कराई गई है।
उपलब्ध दस्तावेजों से यह भी स्पष्ट है कि प्रकरण जिले, तहसील के पत्रकारों पर ही ज्यादा है जिनमें प्रदेश के बड़े समाचार पत्रों के साथ बड़े चैनलों के संवाददाता भी है। अब इन जिले एवं तहसील के पत्रकारों की सुरक्षा कौन करें।
किसी न किसी पत्रकारों को रोज विभागों में समाचार ढूढंने जाता है प्रदेश में कई ऐसे विभाग अथवा ग्राम पंचायत से लेकर मंत्रालय तक सभी में भ्रष्टाचार का बोलबाला। ये सभी वर्ग अपने भ्रष्टाचार के समाचार प्रकाशित न हो के लिये कई हतकंडे अपनाते है उनमें से एक पुलिस में शिकायत कर विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज करा देते है। ऐसी विषम स्थितियों से बचने के लिये पत्रकार को जिले में कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक तहसील स्तर पर तहसीलदार अथवा एस.डी.ओ.पी. को आवेदन दे कि उन्हें समाचार संकलन के लिये विभिन्न विभागों में जाना होता है। और इस दौरान उनके साथ कोई घटना होती है। तो उसका जिम्मेदार संबंधित व्यक्ति होगा। इस तरह के आवेदन से पत्रकार की सुरक्षा होगी तथा भ्रष्टाचार पर भी अकुंश लगेगा।

सुपारी नहीं दी इसलिए हाल खाली -शारदा


पेड न्यूज नहीं सुपारी पत्रकारिता कहे- मनोज श्रीवास्तव

व्यापारियों के हाथ में अखबार जाने से बुराई बढ़ी - आदित्यनारायण उपाध्याय
भोपाल। पेड न्यूज पर मध्यप्रदेश की पत्रकारों से जुड़ी संस्था वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन द्वारा एक चिंतन बैठक का आयोजन दिनांक 2 जनवरी 2011 को भोपाल के शहीद भवन में आयोजित किया गया था। इस चिंतन बैठक में जहां देश के 12 राज्यों के पत्रकार संगठनों के मुख्यिाओं ने भाग लिया वहीं यूनियन द्वारा आमंत्रित राजनेताओं ने किसी न किसी बहाने से इस चिंतन बैठक में शामिल होने में अपनी असमर्थता जतायी परंतु प्रदेश के महामहित राज्यपाल श्री रामेश्वर ठाकुर एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने विचार लिखित दस्तावेज के रूप में भेजे। अफसोस इस बात का है कि जहां राजनेताओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में असमर्थता व्यक्त की वहीं उनसे पेड न्यूज पर विचार आमंत्रित किये थे को भी उनके द्वारा या उनके स्टाफ द्वारा कोई तवज्जो नहीं दी गई। इससे साफ होता है कि राज्यमंत्री मण्डल के अनेक सदस्यों का पेड न्यूज पर भरोसा है। यह तो बात हुई राजनेताओं की वहीं पत्रकार जगत के वरिष्ठजनों ने भी इस चितंन बैठक से अपनी दूरी रख शायद यह संदेश दिया है कि वह भी पेड न्यूज के पक्षधर है। जिन पत्रकार साथियों ने कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज करा यह संदेश दिया कि वो पेड न्यूज के पक्षधर नहीं है। कुछ पत्रकार साथियों ने कार्यक्रम के पूर्व ही सूचना देकर अपनी अनुपस्थिति का कारण भी दिया। जिन पत्रकार साथियों ने अपनी अनुपस्थिति दर्ज कराई इससे ऐसा लगता है, कि वो भी पेड न्यूज के पक्षधर नहीं है। 2 जनवरी को सर्वानुमति यह निर्णय लिया गया कि केन्द्र सरकार से पेड न्यूज के मामले में अनुरोध किया जाए कि केन्द्र स्तर पर एक कमेटी का निर्माण करे जो इस विषय पर गंभीरता से चिंतन करे। इस निर्णय का फैक्स 3 जनवरी को प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति भवन किया गया। हमारे अनुसार राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार से चिंतित हो केन्द्र सरकार ने केन्द्रीय मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता में एक कमेटी की घोषणा 7 जनवरी को की। अब देखना है, कि यह कमेटी अपना कार्यसंचालन कब प्रारंभ करेगी।
लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ होने का दंभ रखने वाली, पत्रकारिता, आज अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही हैं। पैसे देकर मनचाही खबरें प्रकाशित कराना जिसे कि पेड न्यूज कहा जाता है, पत्रकारिता जैसे स्वच्छ और पवित्र पेशे पर एक कलंक की तरह है। इसे समाप्त करने के लिए देश में एक ऐसे कानून की जरूरत है, जो कि कड़ाई से पेड न्यूज प्रणाली पर रोक लगाए।
यह विचार देश के विभिन्न प्रान्तों से आए पत्रकारों ने यहां शहीद भवन में आयोजित पेड न्यूज राष्ट्रीय संगोष्ठी में एक स्वर में कहे। वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन बिहार, छत्तीसगढ़, राजस्थान व मध्यप्रदेश सहित 17 प्रान्तों के पत्रकारों ने भाग लिया। संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए दैनिक नई दुनिया भोपाल के सम्पादक ओम प्रकाश मेहता ने पेड न्यूज को पत्रकारिता के पेशे के लिए एक कलंक बताया। श्री मेहता ने कहा कि पेड न्यूज पत्रकारिता के लिए एक कैंसर सरीक्षा काम कर रही है, जिसने पत्रकारीय मूल्यों का क्षरण कर दिया हैं। उन्होंने कहा कि उनकी 48 वर्ष के पत्रकारिता जीवन अवधि में यह एक ऐसा मोड़ है जहां पत्रकार शब्द एक निंदा का प्रतीका बन गया है। वहीं गुजरात से आई एक वरिष्ठ पत्रकार मीना पंड्या ने पेड न्यूज को एक पुरातन प्रथा बताया। उन्होंने कहा कि राजा-महाराजाओं के दरबार में जिस पर चारण हुआ करते थे जो कि एक दिन रात राजा की खुशामदी करते रहते थे, आज कुछ वैसा ही पत्रकारिता भी कर रही है।
वहीं बिहार से आए एक वरिष्ठ पत्रकार एस.एस.झा ने बिहार में हाल ही में सम्पन्न चुनावों में मीडिया के नितीशीकरण होने की घटना पर गहरा क्षोभ जताया उन्होंनें बताया कि चुनावों में इस बार रूपए नहीं बल्कि मीडिया संस्थानों के मालिकों को राज्यसभा व विधान परिषद की सीट का लालच दिया गया। उन्होंनें भी इस बात का पुरजोर समर्थन किया कि पत्रकारिता के इस पेड न्यूज के नाम के कैंसर को रोकने के लिए अब विधिक प्रतिक्रिया की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वास्तव में यह बड़ी विडम्बना है कि पत्रकारिता को पत्रकार नहीं व्यापारी चला रहे है। जिन्हें जनमूल्यों से कोई सरोकार नहीं। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार बाला साहब, संजीव भागवत, रमेश शर्मा आदि ने भी संबोधित किया। वहीं कार्यक्रम के मुख्य सूत्रधार की भूमिका यूनियन के प्रान्तीय अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने निभाई। इस मौके पर विभिन्न प्रदेशों के साथ-साथ प्रदेश के विभिन्न पत्रकार, समाजसेवी व बौद्धिक जन उपस्थित थे।
सुपारी पत्रकारिता के लिए भारत को या भारतीय पत्रकारिता को विशेष रूप से लज्जित नहीं करने की आवश्यकता नहीं है। यह केवल भारत में ही नहीं पनप रही बल्कि विश्व के अन्य देशों में भी अलग अलग नामों से मौजूद है । कहीं इसे रेड पॉकेट जर्नलिजम तो कहीं व्हाइट एनवेलप जर्नेलिजम कहते हैं यह वाक्य है, भोपाल के संभाग आयुक्त मनोज श्रीवास्तव के। वे 2 जनवरी को शहीद भवन में वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन द्वारा आयोजित परिचर्चा में बोल रहे थे। परिचर्चा का विषय था पत्रकारिता का सर्वाधिक ज्वलंत मुद्दा पेड न्यूज । उन्होंने कहा ब्लेक सीप सभी जगह होती है सुपारी पत्रकारिता की अभी शुरूआत हुई है और मीडिया से ही सुपारी पत्रकारिता के विरोध में आवाज उठने लगी है। उन्होंने कहा कि वास्तव में विज्ञापन देने वालों को ही विज्ञापन पर विश्वास नहीं होता और इस विश्वास की कमी ही सुपारी पत्रकारिता को जन्म देती है। उन्होंने कहा कि कोई चीज विज्ञापन में जीवित नहीं होती, खबर का घूंघट ओढक़र ही लोगों को पसंद आती है । इसलिए पेड न्यूज का चलन बढ़ गया। उन्होंने कहा च्ूंाकि आत्म नियमन प्रभावी नहीं है इसलिए कोई विधिक नियम होना जरूरी है। कार्यक्रम में 18 राज्यों से वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रतिनिधि उपस्थित हुये। कार्यक्रम में आमंत्रित अतिथियों एवं पत्रकार साथियों का स्वागत करते हुये नव प्रभात के संपादक आदित्य नारायण उपाध्याय ने कहा कि बड़े अखबारो को संचालित करने वाले पत्रकार नहीं ,व्यापारी है। व्यापारियों ने अपना मुनाफा देखा, और व्यापारियों के हाथ में अखबार जाने से बुराई बढ़ती गई। पैसा लेकर न्यूज लिखी जाने लगी,पेड न्यूज आज की पत्रकारिता का एक ज्वलंत मुद्दा है जिस पर आज हम सबको चर्चा करने की आवश्यकता है। ।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुये राष्ट्रीय एकता परिषद के उपाध्यक्ष रमेश शर्मा ने कहा कि पेड न्यूज की चर्चा में कभी अखबार के मालिक तथा कोई नेता शामिल नहीं होते। पत्रकार भी इस विषय पर चर्चा करने से भागते है पेड न्यूज का पैसा पत्रकारों के पास नहीं जाता अखबार मालिकों के पास जाता है आज हम इस स्थिति में नहीं है कि पूरी व्यवस्था को बदल सकें। इसलिए हमें कोई और ही रास्ता निकालना होगा जल्दी ऊंचे पद पर पहुंचने के लिए मालिक के कृपा पात्र बनने के लिए पेड न्यूज की इबारत हमने ही लिखी है अखबार में क्या झूठ है और क्या सच पब्लिक सब जानती है। उन्होंने कहा कि हमें खुद को इतना ताकतबर बनाना होगा । जमाना तोप का है,तो हमारे पास तोप होना चाहिए। जमाना पैसा का है, तो हमारे पास पैसा होना चाहिए ,तभी हम लड़ाई जीत सकते हैं। कार्यक्रम में आभार प्रदर्शित करते हुये वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रांताध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने कहा कि मैंने इस कार्यक्रम की कवरेज के लिए कोई सुपारी नहीं दी इसी का नतीजा है कि कार्यक्रम की सूचना कुछ ही अखबारों में दी गई यदि सुपारी देते तो इस कार्यक्रम के कवरेज को प्रमुखता दी जाती। उन्होंने कहा कि सुपारी न देने के कारण आज भोपाल के पत्रकारों की उपस्थिति नगण्य है जहा यूनियन ने 250 निमंत्रण पत्र दिये यदि उनमे से आधे भी आ जाते तो इस हाल मेबैठने के लिए जगह नहीं होती। मित्रों की उपस्थिति से लगता है कि सभी चाहते है कि पेड न्यूज का चलन पत्रकारिता में हो और उनका सोचना है कि वे जो भी खबर दे उसका उन्हे भुगतान मिले समाचार पत्र मालिकों के साथ पत्रकार भी चाहते है कि उन्हें हर समाचार का भुगतान मिले । आज जो उपस्थित है वो सब पेड न्यूज का विरोध करने वाले है ये सब धन्यवाद के पात्र है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता बाला भास्कर (हैदराबाद) तथा विशेष अतिथियों में नारायण शर्मा (छत्तीसगढ़), एस.एस.झा (बिहार) ,प्रेम शंकर (लखनऊ),एस. रघुनाथन (मद्रास), आर. नाथन (मद्रास), हेमराज तिवाड़ी (राजस्थान), सतीश सांखला (जयपुर),रोहितास सैन (राजस्थान), एम.एल.उपाध्याय (यू.पी.),संजीव शेखर (बिहार), सुब्रमण्यम (आंध्रप्रदेश), ध्रुव कुमार (बिहार) ,संजीव कुमार मिश्रा (बिहार), निशांत भाई (नागपुर),चक्रधर (नागपुर ), मीना पंडया (गुजरात) , राजू मनोहर लाल (मद्रास) तथा विशिष्ट अतिथियों में मनोज श्रीवास्तव ,तथा ओम मेहता उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन छत्तीसगढ़ से आए अहफाज रासिद ने किया ।
राज्यपाल से भेंट
राज्यपाल रामेश्वर ठाकुर से यूनियन के विभिन्न राज्यों के पदाधिकारियों ने राजभवन पहुंचकर भेंट की। राज्यपाल ने पदाधिकारियों को नव वर्ष की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पत्रकार हमेशा से ही समाज के सजग प्रहरी हैं। यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने विभिन्न राज्यों से आये पदाधिकारियों से राज्यपाल का परिचय कराया।

Saturday, July 3, 2010

समाचार पत्रों में कांट्रेक्ट सेवा सिस्टम प्रतिबंधित करने के लिए दिल्ली में धरना प्रदर्शन हो :=शारदा

भोपाल, २८/६/२०१०। ऑल इंडिया न्यूज पेपर एम्प्लाइज फेडरेशन की मछलीपट्टनम (आंधप्रदेश) में हुई राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक में सुझाव दिया गया है कि समाचार पत्रों में शुरू किए गए 'कांट्रेक्ट सेवा सिस्टम' पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रधानमंत्री निवास पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया जाए।
यह सुझाव राष्ट्रीय सचिव राधावल्लभ शारदा ने राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक में रखा। श्री शारदा ने कहा कि लगभग सभी दैनिक समाचार पत्रों में पत्रकारों को कांट्रेक्ट सेवा पर रखा जा रहा है, जो एक अथवा दो वर्ष के लिए होता है। इसमें पत्रकार की न तो सेवा सुरक्षा है और न पेंशन, ग्रेच्यूटी आदि की सुविधा। यह पत्रकारों के भविष्य के लिए बहुत बड़ा खतरा है। धरना प्रदर्शन द्वारा केन्द्र सरकार पर दबाव बनाया जाए कि समाचार पत्रों में कांट्रेक्ट सेवा प्रतिबंधित करने के लिए सरकार आदेश जारी करे। श्री शारदा ने कहा कि मध्यप्रदेश में सरकार का श्रम विभाग सुप्त अवस्था में है। विभाग के पास न तो श्रमजीवी पत्रकारों की कोई सूची है और न नाम। वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन नें सूचना के अधिकार में समाचार पत्रों की जो जानकारी मांगी थी वो बाबा आदम के जमाने की है। यूनियन पत्रकारों पर प्रताड़ना के प्रकरणों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और सरकार तथा पुलिस के स्तर पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। यूनियन की पहल पर मध्यप्रदेश सरकार ने तहसील स्तरीय पत्रकारों को अधिमान्यता देने की घोषणा कर दी है। ऐसे पत्रकारों को अधिमान्यता मिलना शुरू भी हो गई है।
मछली पट्टनम में हुई राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक में उजैन के वरिष्ठ पत्रकार डा. अरुण जैन को राष्ट्रीय कार्य समिति में शामिल किए जाने की घोषणा की गई। बैठक का औपचारिक शुभारंभ मछलीपट्टम के सांसद और जिला परिषद के चेयरमेन डॉ. केएन राव ने किया। ए.आई.एन.ई.एफ.के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुबोध बोस ने वेज बोर्ड के मुद्दों पर जानकारी दी। राष्ट्रीय महासचिव एमएल तलवार ने प्रस्ताव रखा कि वेज बोर्ड अपनी सिफारिशें इस वर्ष के अंत तक प्रत्येक स्थिति में केन्द्र सरकार को सौंपे, जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया। राष्ट्रीय कार्यसमिति में आंध्र, तमिलनाडु, केरल, बंगाल, असम से भी एक-एक सदस्य को शामिल किया गया। बताया गया कि आईनेफ के 50 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। इस अवसर पर वर्षांत में स्वर्ण जयंती समारोह दिल्ली में होगा। राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में देश के सभी प्रमुख रायों के प्रतिनिधि आए थे।

Sunday, May 16, 2010

पत्रकारों को कभी खबरों से समझौता नहीं करना चाहिये-शारदा

सिलवानी (जिला रायसेन)। वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन की ओर से एक्सीलेंस स्कूल में मंगलवार की रात हुए लोकोत्सव कार्यक्रम में बुंदेली कलाकारों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दीं। सागर लोककला अकादमी के निर्देशन में आयोजित इस कार्यक्रम से कलेक्टर सुनीता त्रिपाठी भी अभिभूत हो गई। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि लोककला को प्रोत्साहित करने के हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। इस मौके पर आयोजकों ने पूर्व सांसद रामपाल, कलेक्टर सुनीता त्रिपाठी, नगर पंचायत अध्यक्ष संजय मस्ताना, सीएमओ संजय तिवारी, पार्षद जीतू पटवारी आदि को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इससे पहले सुबह कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस मौके पर यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने कहा कि पत्रकारों को सजग और ईमानदारी से अपनी लेखनी को अंजाम देना चाहिए। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को कभी खबरों से समझौता नहीं करना चाहिए। वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन का संभागीय सम्मेलन एवं मासिक पत्रिका नेटवांचल के सहयोग से सिलवानी में लोकोत्सव का भव्य आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री रामपाल सिंह राजपूत एवं विशेष अतिथि कलेक्टर श्रीमती सुनीता त्रिपाठी थी। कार्यक्रम की अध्यक्षता संघ के प्रदेश अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने की। सिलवानी के शासकीय उतकृष्ट विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम के प्रथम चरण में संगठन का संभागीय सम्मेलन आहूत किया गया। जिसमें भोपाल से आये राष्ट्रीय एकता परिषद के उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार रमेश शर्मा मुख्य अतिथि थे। संघ के प्रदेश अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा प्रांतीय सचिव संजय जैन संभागीय अध्यक्ष विजय प्रकाश तिवारी संभाग के सचिव विजय जैन, जिलाध्यक्ष जगदीश एवं ब्लाक अध्यक्ष दिनेश चौरसिया उपिस्थत थे। इस अवसर पर पत्रकारों को आने वाली कठिनाईयों एवं चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया गया। दूसरे सत्र में आयोजित लोकोत्सव कार्यक्रम की प्रस्तुति सागर के लोक कला एकडमी एवं रायसेन के कलाकारों ने दी। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों के स्वागत उपरांत मासिक पत्रिका नेटवांचल के लोकोत्सव विशेषांक का विमोचन किया गया। तदोपरांत स्वागत संजय जैन ने देते हुए कहा कि जिले के सुल्तानगंज में हाल ही में दिवंगत लोककलाकार ढोलामारू ने भले ही सोवियत रूप से प्रस्तुति देकर सबका ध्यान भारतीय कलाओं की ओर आकर्षित किया हो लेकिन हमारे ही देश में उचित समुचित सम्मान और उसकी कला को संरक्षण नहीं मिल सका और उसकी खामोशी मौत हो गई। रामपाल सिंह ने कहा कि शासन लोक कलाकारों को संरक्षण देता रहेगा। और यह आयोजन सराहनीय प्रयास है। कलेक्टर श्रीमती सुनीता त्रिपाठी ने कहा कि रायसेन जिले के लोक कलाकारा देश विदेश में अपना नाम कमायेंगे ऐसी मेरी अपेक्षा है। लोकोत्सव कार्यक्रम का संचालन अन्तराष्ट्रीय कलाकार विष्णु पाठक ने किया।

होशंगाबाद सम्मेलन के फोटो


Saturday, May 15, 2010

सामाजिक कार्यकर्ताओं से यादा संवदेनशीलता पत्रकारों में : शिव चौबे

खबरें अब बिकने लगी है जो घातक है : रमेश शर्मा

होशंगाबाद। वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन का प्रांतीय सम्मेलन स्टेशन रोड़ स्थित होटल पैलेस में संपन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक गिरजाशंकर शर्मा, अध्यक्ष गौ संवर्धन बोर्ड शिव चौबे, अध्यक्षता प्रांतीय अध्यक्ष वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन राधावल्लभ शारदा, विशेष अतिथि नपा अध्यक्ष श्रीमती माया नारोलिया, जिला संपर्क अधिकारी एचके बाथरी एवं प्रांतीय महासचिव वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ज्ञानेन्द्र त्रिपाठी धार थे। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रावलन के साथ संपन्न हुआ। अतिथियों का स्वागत पुष्पहारों से प्रांतीय पदाधिकारी, सदस्यों व होशंगाबाद इकाई के पदाधिकारियों ने किया। इस अवसर पर होशंगाबाद इकाई के जिलाध्यक्ष राजीव अग्रवाल ने स्वागत भाषण दिया एवं सम्मेलन की विषय वस्तु सामने रखी। प्रथम वक्ता श्री बाथरी जिला जनसंपर्क अधिकारी ने अपने संबोधन में कहा कि इस प्रकार के सम्मेलन से पत्रकारों को एक दूसरे से मिलने व परिचित होने का अवसर मिलता है साथ ही एक दूसरे की शैली व खबरों के प्रति नजरिया समझने का मौका भी मिलता है। साथ ही एक दूसरे की समस्या को समझकर परस्पर विचार करने से उसके निराकरण की राह भी निकलती है। उन्होंने कहा कि म.प्र. शासन ने प्रथम बार तहसील स्तर के पत्रकारों के लिए भी नियमों में परिवर्तन कर अधिमान्य पत्रकार की मिलती है। नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती नारोलिया ने नर्मदा नगरी में प्रदेशभर से पधारे पत्रकारों का स्वागत करते हुए कहा कि वैसे तो उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र की जानकारी नहीं है किंतु वह इतना अवश्य मानती है कि मीडिया के सहयोग से व्यक्ति कहां से कहां तक पहुंच सकता है। इसकी कल्पना नहीं की जा सकती है। जो काम कई बार हम लोग नहीं कर पाते है वह काम पत्रकारों के सहयोग से जनता के बीच लाने पर सहजता से हो जाते हैं। पत्रकार अपनी गिध्द दृष्टि से समस्याओं का आंकलन करते है और जनप्रतिनिधियों को भी अनेक नई बातों से अवगत करवाते है। होशंगाबाद के लोकप्रिय विधायक गिरिजाशंकर शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि किसी भी नगर में निरंतर रूप से घटित होने वाली घटनाओं के कारण ही वह नगर गतिशील कहलाता है और गतिशील रहना विकास का परिचायक है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में ही पत्रकारिता का महत्व है। तानाशाही या साम्यवादी व्यवस्था में पत्रकारिता का महत्व न के बराबर रहता है। उन्होंने आपातकाल का उदाहरण देते हुए बताया कि उस समय समाचार पत्रों में संपादकीय कोना रिक्त छोड़कर या फिर काला पन्ने के रूप में प्रकाशित कर अपना विरोध प्रकट किया जाता था। पोलैण्ड की जनता ने आजाद होने के लिए सतत संघर्ष किया था। उस समय शासकीय रेडियो द्वारा आंदोलन की झूठी खबरें प्रसारित की जाती थी। जिसके विरोध में जनता उठ खड़ी हुई और अब रेडियो से समाचारों का प्रकाशन होता था तो जनता अपने घरों से निकलकर सड़कों पर आ जाती थी। पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना गया है। न्यायपालिका, व्यवस्थापिका व कार्यपालिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए पत्रकारिता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। तीनों स्तंभों के समान ही इसका भी उतना ही महत्व है वर्तमान में पेड न्यूज का चलन प्रारंभ हो गया है जो कि गलत प्रवृत्ति है। खबरों में पैनापन व विश्वसनीयता होना चाहिए। किसी विचार धारा विशेष के आधार पर प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों की तुलना में निष्पक्ष समाचार पत्रों का महत्व यादा है। शासन एकमात्र प्रेस से ही डरती है। इस अवसर पर भोपाल से पधारे पत्रकार कृष्णमोहन झा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि वर्तमान में पत्रकारिता खतरे में है। समाचार पत्रों के मालिक या तो राजनेता है या फिर व्यवसायी। जिनके लिए खबरों से कई यादा महत्व बिजनेस का है। जब लोकतंत्र में पत्रकारिता को चौथा स्तंभ माना गया है तो उसे कानूनी दर्जा क्यों नहीं प्रदान किया जा रहा है? आज भी अधिकांश पत्रकार बिना वेतन के कार्य कर रहे है। विजय नेमा भोपाल ने कहा कि पत्रकारिता के वर्तमान माहौल में राजनेता स्वयं पत्रकारों व पेपर मालिकों के मध्य आत्मीय संबंधी समाप्त होते जा रहे है। कोई भी पेपर मालिक पत्रकारों को अधिमान्यता की सुविधा देने के लिए परिचय पत्र व प्रमाण पत्र देने को तैयार नहीं है। पत्रकार संगठन आपस में लड़ रहे है। वर्तमान में पत्रकार की कलम से यादा वैनर का महत्व है। आज पत्रकार काम से नहीं वैनर से पहचाने जा रहे है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गौ संवर्धन बोर्ड अध्यक्ष शिव चौबे ने अपने उद्बोधन में कहा कि सामाजिक कार्यकर्ताओं से यादा संवेदनशीलता पत्रकारों में रहती है। मैने भी पूर्व में भोपाल में रहकर पत्रकारिता की है। एक पत्रकार का अपने समाचार पत्र के मालिक के साथ-साथ अपने परिवार की जिम्मेदारियां भी रहती है। उसे समाचार बनाने वक्त अपने परिवार के भविष्य व मालिक के विचारों का भी ध्यान रखना पड़ता है। वर्तमान में भी समाज को पत्रकारों से आशा है मात्र पन्ने भरने के लिए खबरें लिखना कर्तव्य नहीं है। म.प्र. के 230 विधानसभा क्षेत्रों में से 168 विधानसभा क्षेत्र ग्रामीण क्षेत्र है वहां की खबरें सामने लाना चाहिए। वहां की समस्यायें सामने लाने पर समाज पत्रकारों को धन्यवाद देगा। परिवार की चिंता के लिए धन की आवश्यकता पड़ती है। समाचार प्राप्त होते है जबकि खबरें क्षेत्र में जाकर बनाना पड़ती है इसके लिए गांव में जाकर परेशान होना पड़ता है। इस अवसर पर यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने कहा कि गिरिजा, शिव, माया के बाद अब शारदा का नंबर आया है। ग्रामीण क्षेत्र के पत्रकारों को अधिमान्यता मिलना चाहिए। इसके लिए हमारी ओर से सतत प्रयास किये गये है और जनसंपर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा से चर्चा के उपरांत नियमों में शिथिलता व सरलीकरण किया गया है। वर्तमान में यह नियम है कि पेपर मालिक के द्वारा दिये गये प्रमाण पत्र के आधार पर ही अधिमान्यता की कार्यवाही होती है। हमने यह सरलीकरण कराया है कि जिला जनसंपर्क अधिकारी की अनुशंसा पर अधिमान्यता की कार्यवाही होगी। हमने यह सरलीकरण कराया है कि जिला जनसंपर्क अधिकारी की अनुशंसा पर अधिमान्यता तहसील स्तर के पत्रकारों को प्राप्त हो जावे। श्री शारदा ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि पत्रकारों के विरुध्द फर्जी मुकदमें दर्ज होना बंद नहीं हुए तो आगामी माह में भोपाल में प्रदर्शन किया जावेगा। इस सत्र का समापन अतिथियों को स्मृति चिन्ह व श्रीफल प्रदान कर किया गया। द्वितीय सत्र में यूनियन के पदाधिकारियों द्वारा अपने क्षेत्रों में संगठन को मजबूत बनाने के लिए किये गये प्रयासों पर विचार कर आगामी रुपरेखा तैयार की गई।
पत्रकारिता इन दिनों संक्रमण काल से गुजर रही है। जिसमें पत्रकारिता के मायने ही बदल गये है या यू कहे पत्रकार शब्द मीडिया हो गया यानी जिस किसी माध्यम से सूचना प्रचारित प्रसारित हो, वहीं आज मीडिया है। यह बात वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रांतीय अधिवेशन में राष्ट्रीय एकता परिषद के उपाध्यक्ष श्री रमेश शर्मा ने कही। श्री शर्मा ने पत्रकारों से कहा कि पत्रकार अब बाजारू हो गये है। ऐसा अब देखा जाने लगा है। खबरों में पैसा कितना होगा? इस पर अब अखबार मालिकों की नजर है। खबरें अब बिकने लगी है जो सबसे यादा घातक होगी। क्योंकि बाजार की नजर अब मीडिया पर है। यहां श्री शर्मा ने कहा कि कहना नहीं होगा कि अब आप झुकेंगे तभी पीठ पर सवारी होगी। अपने सार गर्भित उद्बोधन में श्री शर्मा ने पत्रकारों से उम्मीद की कि वे पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर आंच न आने दें। जिसने हमें स्वतंत्र कराया है। आपने कहा कि जनचेतना पर हाबी होकर इन दिनों पत्रकारिता पर बाजार हाबी है। इससे पत्रकारिता को धक्का पहुंचा है। जिसके तहत अब पत्रकार कांट्रेक्ट पर रखे जा रहे है। दुर्भाग्य तो इस पर भी है कि आज पत्रकार ही पत्रकार का काम्पिटीटर हो गया है। वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के इस अधिवेशन में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष भवानी शंकर शर्मा पत्रकारों को सारगर्भित उद्बोधन में कहना नहीं चूके कि पत्रकार ध्यान दें कि कामा और फुलस्टाप गलत लगाने से ही अर्थ बदल जाता है। सोहागपुर विधायक विजयपाल सिंह ने यहां कहा कि वस्तुत: समाज सहित नेताओं पर नजर रखने की जिम्मेदारी ही पत्रकार की होती है। यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने इस दौरान ग्रामीण व तहसील स्तर के पत्रकारों को वह सभी सुविधा मुहैया कराने की वकालत की जो जिला स्तर सहित संभाग स्तर के पत्रकारों को मिलती है।

सामाजिक कार्यकर्ताओं से यादा संवदेनशीलता पत्रकारों में : शिव चौबे





Friday, April 9, 2010

पत्रकार राधावल्लभ शारदा को टेपा सम्मान से सम्मानित किया

उज्जैन / कालिदास अकादमी के मुक्ताकाशी रंगमंच पर 40 वें टेपा सम्मेलन में संस्थापक अध्यक्ष डॉ. शिव शर्मा ने अपनी वार्षिक टेपा रपट में टेपा सांस्कृतिक केन्द्र बनाने की मांग करते हुए कहा कि प्रत्येक गांव में इच्छाधारी बाबाओं के आश्रम खोले जायेंगे तथा टेपा विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी।
कामेडी क्वीन अर्चना पूरणसिंह पर प्रशस्ति पढ़ते हुए टेपा सम्मेलन के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. शिव शर्मा ने उन्हें ठहाका साम्राज्ञी की टेपा उपाधि प्रदान की। संभागायुक्त टी. धर्माराव को धार्मिक नगरी के संभागपति, कुलपति प्रो. शिवपालसिंह अहलावत को विक्रम के बेताल कुलपति, पत्रकार राधेश्याम धामू को टेपा पत्रकार, संपादक राधावल्लभ शारदा को भोपाली पत्रकार, अटलांटा की दक्षा सेठ को अमेरिकी टेपी की उपाधि प्रदान की गई। टेपा सम्मेलन में 40 वां राधा-लाला अमरनाथ स्मृति हास्य व्यंग्य टेपा सम्मान प्रसिध्द अभिनेत्री अर्चना पूरणसिंह को सानसिंह वर्मा, ओम अमरनाथ, शिवा खत्री, विनोद चौपड़ा द्वारा प्रदान किया गया। गणेशशंकर विद्यार्थी मंडल टेपा सम्मान प्रसिध्द कवि प्रदीप चौबे को, निकुंज परसराम पुरिया स्मृति टेपा सम्मान प्रख्यात हास्य कवि सुरेन्द्र दुबे को, स्व. भगवती शर्मा स्मृति टेपा सम्मान कवयित्री शालिनी सरगम को योगेश शर्मा द्वारा प्रदान किया गया। पं. सूर्यनारायण व्यास स्मृति टेपा सम्मान कवि संजय झाला को, पटेल नानूराम आंजना स्मृति टेपा सम्मान शायद अहमद रईस निजामी को, पत्रकार सत्यनारायण गोयल स्मृति श्रेष्ठ प्रदर्शन टेपा सम्मान सुदर्शन आयाचित को, टेपा कला संकेत सम्मान चित्रकार राजेश पण्डया को, मानसिंह बैस स्मृति युवा पत्रकारिता टेपा सम्मान विशालसिंह हाड़ा को दिया गया। एडव्होकेट ज्ञानस्वरूप श्रीवास्तव स्मृति टेपा सम्मान इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार संदीप कुलश्रेष्ठ को व कन्हैयालाल भूतड़ा स्मृति टेपा सम्मान प्रेस फोटोग्राफर नौमिश दुबे को भूपेन्द्र भूतड़ा द्वारा प्रदान किया गया। दुबई के जादूगर प्रेबा माडले के जादू एवं नृत्य ने श्रोता दर्शकों को आनंदित किया। जादूगर प्रेबा माडले को टेपा सम्मान अर्चना पूरणसिंह एवं सान वर्मा द्वारा प्रदान किया गया। टेपा सम्मेलन में महावीरप्रसाद वशिष्ठ, वीरेन्द्रसिंह सिसौदिया, अफसर पटेल, डा. अरुण जैन आदि मंच पर विराजमान थे। कांव-कांव सम्मेलन में प्रदीप चौबे, सुरेन्द्र दुबे, संजय झाला, पवन जैन, शालिनी सरगम, अहमद रईस निजामी ने अपनी रचनाओं से श्रोता दर्शकों को खूब हंसाया। कांव-कांव सम्मेलन का संचालन कवि दिनेश दिग्गज ने किया। टेपा सम्मेलन के सचिव मनीष शर्मा ने आभार माना।