Saturday, May 15, 2010

सामाजिक कार्यकर्ताओं से यादा संवदेनशीलता पत्रकारों में : शिव चौबे

खबरें अब बिकने लगी है जो घातक है : रमेश शर्मा

होशंगाबाद। वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन का प्रांतीय सम्मेलन स्टेशन रोड़ स्थित होटल पैलेस में संपन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक गिरजाशंकर शर्मा, अध्यक्ष गौ संवर्धन बोर्ड शिव चौबे, अध्यक्षता प्रांतीय अध्यक्ष वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन राधावल्लभ शारदा, विशेष अतिथि नपा अध्यक्ष श्रीमती माया नारोलिया, जिला संपर्क अधिकारी एचके बाथरी एवं प्रांतीय महासचिव वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ज्ञानेन्द्र त्रिपाठी धार थे। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रावलन के साथ संपन्न हुआ। अतिथियों का स्वागत पुष्पहारों से प्रांतीय पदाधिकारी, सदस्यों व होशंगाबाद इकाई के पदाधिकारियों ने किया। इस अवसर पर होशंगाबाद इकाई के जिलाध्यक्ष राजीव अग्रवाल ने स्वागत भाषण दिया एवं सम्मेलन की विषय वस्तु सामने रखी। प्रथम वक्ता श्री बाथरी जिला जनसंपर्क अधिकारी ने अपने संबोधन में कहा कि इस प्रकार के सम्मेलन से पत्रकारों को एक दूसरे से मिलने व परिचित होने का अवसर मिलता है साथ ही एक दूसरे की शैली व खबरों के प्रति नजरिया समझने का मौका भी मिलता है। साथ ही एक दूसरे की समस्या को समझकर परस्पर विचार करने से उसके निराकरण की राह भी निकलती है। उन्होंने कहा कि म.प्र. शासन ने प्रथम बार तहसील स्तर के पत्रकारों के लिए भी नियमों में परिवर्तन कर अधिमान्य पत्रकार की मिलती है। नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती नारोलिया ने नर्मदा नगरी में प्रदेशभर से पधारे पत्रकारों का स्वागत करते हुए कहा कि वैसे तो उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र की जानकारी नहीं है किंतु वह इतना अवश्य मानती है कि मीडिया के सहयोग से व्यक्ति कहां से कहां तक पहुंच सकता है। इसकी कल्पना नहीं की जा सकती है। जो काम कई बार हम लोग नहीं कर पाते है वह काम पत्रकारों के सहयोग से जनता के बीच लाने पर सहजता से हो जाते हैं। पत्रकार अपनी गिध्द दृष्टि से समस्याओं का आंकलन करते है और जनप्रतिनिधियों को भी अनेक नई बातों से अवगत करवाते है। होशंगाबाद के लोकप्रिय विधायक गिरिजाशंकर शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि किसी भी नगर में निरंतर रूप से घटित होने वाली घटनाओं के कारण ही वह नगर गतिशील कहलाता है और गतिशील रहना विकास का परिचायक है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में ही पत्रकारिता का महत्व है। तानाशाही या साम्यवादी व्यवस्था में पत्रकारिता का महत्व न के बराबर रहता है। उन्होंने आपातकाल का उदाहरण देते हुए बताया कि उस समय समाचार पत्रों में संपादकीय कोना रिक्त छोड़कर या फिर काला पन्ने के रूप में प्रकाशित कर अपना विरोध प्रकट किया जाता था। पोलैण्ड की जनता ने आजाद होने के लिए सतत संघर्ष किया था। उस समय शासकीय रेडियो द्वारा आंदोलन की झूठी खबरें प्रसारित की जाती थी। जिसके विरोध में जनता उठ खड़ी हुई और अब रेडियो से समाचारों का प्रकाशन होता था तो जनता अपने घरों से निकलकर सड़कों पर आ जाती थी। पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना गया है। न्यायपालिका, व्यवस्थापिका व कार्यपालिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए पत्रकारिता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। तीनों स्तंभों के समान ही इसका भी उतना ही महत्व है वर्तमान में पेड न्यूज का चलन प्रारंभ हो गया है जो कि गलत प्रवृत्ति है। खबरों में पैनापन व विश्वसनीयता होना चाहिए। किसी विचार धारा विशेष के आधार पर प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों की तुलना में निष्पक्ष समाचार पत्रों का महत्व यादा है। शासन एकमात्र प्रेस से ही डरती है। इस अवसर पर भोपाल से पधारे पत्रकार कृष्णमोहन झा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि वर्तमान में पत्रकारिता खतरे में है। समाचार पत्रों के मालिक या तो राजनेता है या फिर व्यवसायी। जिनके लिए खबरों से कई यादा महत्व बिजनेस का है। जब लोकतंत्र में पत्रकारिता को चौथा स्तंभ माना गया है तो उसे कानूनी दर्जा क्यों नहीं प्रदान किया जा रहा है? आज भी अधिकांश पत्रकार बिना वेतन के कार्य कर रहे है। विजय नेमा भोपाल ने कहा कि पत्रकारिता के वर्तमान माहौल में राजनेता स्वयं पत्रकारों व पेपर मालिकों के मध्य आत्मीय संबंधी समाप्त होते जा रहे है। कोई भी पेपर मालिक पत्रकारों को अधिमान्यता की सुविधा देने के लिए परिचय पत्र व प्रमाण पत्र देने को तैयार नहीं है। पत्रकार संगठन आपस में लड़ रहे है। वर्तमान में पत्रकार की कलम से यादा वैनर का महत्व है। आज पत्रकार काम से नहीं वैनर से पहचाने जा रहे है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गौ संवर्धन बोर्ड अध्यक्ष शिव चौबे ने अपने उद्बोधन में कहा कि सामाजिक कार्यकर्ताओं से यादा संवेदनशीलता पत्रकारों में रहती है। मैने भी पूर्व में भोपाल में रहकर पत्रकारिता की है। एक पत्रकार का अपने समाचार पत्र के मालिक के साथ-साथ अपने परिवार की जिम्मेदारियां भी रहती है। उसे समाचार बनाने वक्त अपने परिवार के भविष्य व मालिक के विचारों का भी ध्यान रखना पड़ता है। वर्तमान में भी समाज को पत्रकारों से आशा है मात्र पन्ने भरने के लिए खबरें लिखना कर्तव्य नहीं है। म.प्र. के 230 विधानसभा क्षेत्रों में से 168 विधानसभा क्षेत्र ग्रामीण क्षेत्र है वहां की खबरें सामने लाना चाहिए। वहां की समस्यायें सामने लाने पर समाज पत्रकारों को धन्यवाद देगा। परिवार की चिंता के लिए धन की आवश्यकता पड़ती है। समाचार प्राप्त होते है जबकि खबरें क्षेत्र में जाकर बनाना पड़ती है इसके लिए गांव में जाकर परेशान होना पड़ता है। इस अवसर पर यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने कहा कि गिरिजा, शिव, माया के बाद अब शारदा का नंबर आया है। ग्रामीण क्षेत्र के पत्रकारों को अधिमान्यता मिलना चाहिए। इसके लिए हमारी ओर से सतत प्रयास किये गये है और जनसंपर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा से चर्चा के उपरांत नियमों में शिथिलता व सरलीकरण किया गया है। वर्तमान में यह नियम है कि पेपर मालिक के द्वारा दिये गये प्रमाण पत्र के आधार पर ही अधिमान्यता की कार्यवाही होती है। हमने यह सरलीकरण कराया है कि जिला जनसंपर्क अधिकारी की अनुशंसा पर अधिमान्यता की कार्यवाही होगी। हमने यह सरलीकरण कराया है कि जिला जनसंपर्क अधिकारी की अनुशंसा पर अधिमान्यता तहसील स्तर के पत्रकारों को प्राप्त हो जावे। श्री शारदा ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि पत्रकारों के विरुध्द फर्जी मुकदमें दर्ज होना बंद नहीं हुए तो आगामी माह में भोपाल में प्रदर्शन किया जावेगा। इस सत्र का समापन अतिथियों को स्मृति चिन्ह व श्रीफल प्रदान कर किया गया। द्वितीय सत्र में यूनियन के पदाधिकारियों द्वारा अपने क्षेत्रों में संगठन को मजबूत बनाने के लिए किये गये प्रयासों पर विचार कर आगामी रुपरेखा तैयार की गई।
पत्रकारिता इन दिनों संक्रमण काल से गुजर रही है। जिसमें पत्रकारिता के मायने ही बदल गये है या यू कहे पत्रकार शब्द मीडिया हो गया यानी जिस किसी माध्यम से सूचना प्रचारित प्रसारित हो, वहीं आज मीडिया है। यह बात वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रांतीय अधिवेशन में राष्ट्रीय एकता परिषद के उपाध्यक्ष श्री रमेश शर्मा ने कही। श्री शर्मा ने पत्रकारों से कहा कि पत्रकार अब बाजारू हो गये है। ऐसा अब देखा जाने लगा है। खबरों में पैसा कितना होगा? इस पर अब अखबार मालिकों की नजर है। खबरें अब बिकने लगी है जो सबसे यादा घातक होगी। क्योंकि बाजार की नजर अब मीडिया पर है। यहां श्री शर्मा ने कहा कि कहना नहीं होगा कि अब आप झुकेंगे तभी पीठ पर सवारी होगी। अपने सार गर्भित उद्बोधन में श्री शर्मा ने पत्रकारों से उम्मीद की कि वे पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर आंच न आने दें। जिसने हमें स्वतंत्र कराया है। आपने कहा कि जनचेतना पर हाबी होकर इन दिनों पत्रकारिता पर बाजार हाबी है। इससे पत्रकारिता को धक्का पहुंचा है। जिसके तहत अब पत्रकार कांट्रेक्ट पर रखे जा रहे है। दुर्भाग्य तो इस पर भी है कि आज पत्रकार ही पत्रकार का काम्पिटीटर हो गया है। वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के इस अधिवेशन में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष भवानी शंकर शर्मा पत्रकारों को सारगर्भित उद्बोधन में कहना नहीं चूके कि पत्रकार ध्यान दें कि कामा और फुलस्टाप गलत लगाने से ही अर्थ बदल जाता है। सोहागपुर विधायक विजयपाल सिंह ने यहां कहा कि वस्तुत: समाज सहित नेताओं पर नजर रखने की जिम्मेदारी ही पत्रकार की होती है। यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने इस दौरान ग्रामीण व तहसील स्तर के पत्रकारों को वह सभी सुविधा मुहैया कराने की वकालत की जो जिला स्तर सहित संभाग स्तर के पत्रकारों को मिलती है।

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