Tuesday, May 17, 2011

पत्रकारों को अपनी सुरक्षा स्वयं करनी होगी-शारदा


भोपाल: मध्यप्रदेश में पिछले पांच वर्षो में पत्रकारों पर विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज है। इन पत्रकारों की संख्या लगभग 500 से अधिक है। राज्य सरकार के गृह विभाग के वर्ष 1986-95 एवं 2005 एवं 6 जनवरी 2010 के आदेशों के अनुसार पत्रकार के विरूद्ध शिकायत पर पुलिस अधीक्षक अथवा उप महानिरीक्षक द्वारा जांच की जानी चाहिये परन्तु उपलब्ध दस्तावेजों को देखने के बाद स्पष्ट है कि पुलिसकर्मी गृह विभाग के आदेश को मानने तैयार नही है और ऐसे प्रकरणों की जांच सब इन्सपेक्टर तक के अधिकारी से कराई गई है।
उपलब्ध दस्तावेजों से यह भी स्पष्ट है कि प्रकरण जिले, तहसील के पत्रकारों पर ही ज्यादा है जिनमें प्रदेश के बड़े समाचार पत्रों के साथ बड़े चैनलों के संवाददाता भी है। अब इन जिले एवं तहसील के पत्रकारों की सुरक्षा कौन करें।
किसी न किसी पत्रकारों को रोज विभागों में समाचार ढूढंने जाता है प्रदेश में कई ऐसे विभाग अथवा ग्राम पंचायत से लेकर मंत्रालय तक सभी में भ्रष्टाचार का बोलबाला। ये सभी वर्ग अपने भ्रष्टाचार के समाचार प्रकाशित न हो के लिये कई हतकंडे अपनाते है उनमें से एक पुलिस में शिकायत कर विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज करा देते है। ऐसी विषम स्थितियों से बचने के लिये पत्रकार को जिले में कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक तहसील स्तर पर तहसीलदार अथवा एस.डी.ओ.पी. को आवेदन दे कि उन्हें समाचार संकलन के लिये विभिन्न विभागों में जाना होता है। और इस दौरान उनके साथ कोई घटना होती है। तो उसका जिम्मेदार संबंधित व्यक्ति होगा। इस तरह के आवेदन से पत्रकार की सुरक्षा होगी तथा भ्रष्टाचार पर भी अकुंश लगेगा।

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