Tuesday, May 17, 2011

सुपारी नहीं दी इसलिए हाल खाली -शारदा


पेड न्यूज नहीं सुपारी पत्रकारिता कहे- मनोज श्रीवास्तव

व्यापारियों के हाथ में अखबार जाने से बुराई बढ़ी - आदित्यनारायण उपाध्याय
भोपाल। पेड न्यूज पर मध्यप्रदेश की पत्रकारों से जुड़ी संस्था वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन द्वारा एक चिंतन बैठक का आयोजन दिनांक 2 जनवरी 2011 को भोपाल के शहीद भवन में आयोजित किया गया था। इस चिंतन बैठक में जहां देश के 12 राज्यों के पत्रकार संगठनों के मुख्यिाओं ने भाग लिया वहीं यूनियन द्वारा आमंत्रित राजनेताओं ने किसी न किसी बहाने से इस चिंतन बैठक में शामिल होने में अपनी असमर्थता जतायी परंतु प्रदेश के महामहित राज्यपाल श्री रामेश्वर ठाकुर एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने विचार लिखित दस्तावेज के रूप में भेजे। अफसोस इस बात का है कि जहां राजनेताओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में असमर्थता व्यक्त की वहीं उनसे पेड न्यूज पर विचार आमंत्रित किये थे को भी उनके द्वारा या उनके स्टाफ द्वारा कोई तवज्जो नहीं दी गई। इससे साफ होता है कि राज्यमंत्री मण्डल के अनेक सदस्यों का पेड न्यूज पर भरोसा है। यह तो बात हुई राजनेताओं की वहीं पत्रकार जगत के वरिष्ठजनों ने भी इस चितंन बैठक से अपनी दूरी रख शायद यह संदेश दिया है कि वह भी पेड न्यूज के पक्षधर है। जिन पत्रकार साथियों ने कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज करा यह संदेश दिया कि वो पेड न्यूज के पक्षधर नहीं है। कुछ पत्रकार साथियों ने कार्यक्रम के पूर्व ही सूचना देकर अपनी अनुपस्थिति का कारण भी दिया। जिन पत्रकार साथियों ने अपनी अनुपस्थिति दर्ज कराई इससे ऐसा लगता है, कि वो भी पेड न्यूज के पक्षधर नहीं है। 2 जनवरी को सर्वानुमति यह निर्णय लिया गया कि केन्द्र सरकार से पेड न्यूज के मामले में अनुरोध किया जाए कि केन्द्र स्तर पर एक कमेटी का निर्माण करे जो इस विषय पर गंभीरता से चिंतन करे। इस निर्णय का फैक्स 3 जनवरी को प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति भवन किया गया। हमारे अनुसार राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार से चिंतित हो केन्द्र सरकार ने केन्द्रीय मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता में एक कमेटी की घोषणा 7 जनवरी को की। अब देखना है, कि यह कमेटी अपना कार्यसंचालन कब प्रारंभ करेगी।
लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ होने का दंभ रखने वाली, पत्रकारिता, आज अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही हैं। पैसे देकर मनचाही खबरें प्रकाशित कराना जिसे कि पेड न्यूज कहा जाता है, पत्रकारिता जैसे स्वच्छ और पवित्र पेशे पर एक कलंक की तरह है। इसे समाप्त करने के लिए देश में एक ऐसे कानून की जरूरत है, जो कि कड़ाई से पेड न्यूज प्रणाली पर रोक लगाए।
यह विचार देश के विभिन्न प्रान्तों से आए पत्रकारों ने यहां शहीद भवन में आयोजित पेड न्यूज राष्ट्रीय संगोष्ठी में एक स्वर में कहे। वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन बिहार, छत्तीसगढ़, राजस्थान व मध्यप्रदेश सहित 17 प्रान्तों के पत्रकारों ने भाग लिया। संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए दैनिक नई दुनिया भोपाल के सम्पादक ओम प्रकाश मेहता ने पेड न्यूज को पत्रकारिता के पेशे के लिए एक कलंक बताया। श्री मेहता ने कहा कि पेड न्यूज पत्रकारिता के लिए एक कैंसर सरीक्षा काम कर रही है, जिसने पत्रकारीय मूल्यों का क्षरण कर दिया हैं। उन्होंने कहा कि उनकी 48 वर्ष के पत्रकारिता जीवन अवधि में यह एक ऐसा मोड़ है जहां पत्रकार शब्द एक निंदा का प्रतीका बन गया है। वहीं गुजरात से आई एक वरिष्ठ पत्रकार मीना पंड्या ने पेड न्यूज को एक पुरातन प्रथा बताया। उन्होंने कहा कि राजा-महाराजाओं के दरबार में जिस पर चारण हुआ करते थे जो कि एक दिन रात राजा की खुशामदी करते रहते थे, आज कुछ वैसा ही पत्रकारिता भी कर रही है।
वहीं बिहार से आए एक वरिष्ठ पत्रकार एस.एस.झा ने बिहार में हाल ही में सम्पन्न चुनावों में मीडिया के नितीशीकरण होने की घटना पर गहरा क्षोभ जताया उन्होंनें बताया कि चुनावों में इस बार रूपए नहीं बल्कि मीडिया संस्थानों के मालिकों को राज्यसभा व विधान परिषद की सीट का लालच दिया गया। उन्होंनें भी इस बात का पुरजोर समर्थन किया कि पत्रकारिता के इस पेड न्यूज के नाम के कैंसर को रोकने के लिए अब विधिक प्रतिक्रिया की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वास्तव में यह बड़ी विडम्बना है कि पत्रकारिता को पत्रकार नहीं व्यापारी चला रहे है। जिन्हें जनमूल्यों से कोई सरोकार नहीं। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार बाला साहब, संजीव भागवत, रमेश शर्मा आदि ने भी संबोधित किया। वहीं कार्यक्रम के मुख्य सूत्रधार की भूमिका यूनियन के प्रान्तीय अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने निभाई। इस मौके पर विभिन्न प्रदेशों के साथ-साथ प्रदेश के विभिन्न पत्रकार, समाजसेवी व बौद्धिक जन उपस्थित थे।
सुपारी पत्रकारिता के लिए भारत को या भारतीय पत्रकारिता को विशेष रूप से लज्जित नहीं करने की आवश्यकता नहीं है। यह केवल भारत में ही नहीं पनप रही बल्कि विश्व के अन्य देशों में भी अलग अलग नामों से मौजूद है । कहीं इसे रेड पॉकेट जर्नलिजम तो कहीं व्हाइट एनवेलप जर्नेलिजम कहते हैं यह वाक्य है, भोपाल के संभाग आयुक्त मनोज श्रीवास्तव के। वे 2 जनवरी को शहीद भवन में वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन द्वारा आयोजित परिचर्चा में बोल रहे थे। परिचर्चा का विषय था पत्रकारिता का सर्वाधिक ज्वलंत मुद्दा पेड न्यूज । उन्होंने कहा ब्लेक सीप सभी जगह होती है सुपारी पत्रकारिता की अभी शुरूआत हुई है और मीडिया से ही सुपारी पत्रकारिता के विरोध में आवाज उठने लगी है। उन्होंने कहा कि वास्तव में विज्ञापन देने वालों को ही विज्ञापन पर विश्वास नहीं होता और इस विश्वास की कमी ही सुपारी पत्रकारिता को जन्म देती है। उन्होंने कहा कि कोई चीज विज्ञापन में जीवित नहीं होती, खबर का घूंघट ओढक़र ही लोगों को पसंद आती है । इसलिए पेड न्यूज का चलन बढ़ गया। उन्होंने कहा च्ूंाकि आत्म नियमन प्रभावी नहीं है इसलिए कोई विधिक नियम होना जरूरी है। कार्यक्रम में 18 राज्यों से वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रतिनिधि उपस्थित हुये। कार्यक्रम में आमंत्रित अतिथियों एवं पत्रकार साथियों का स्वागत करते हुये नव प्रभात के संपादक आदित्य नारायण उपाध्याय ने कहा कि बड़े अखबारो को संचालित करने वाले पत्रकार नहीं ,व्यापारी है। व्यापारियों ने अपना मुनाफा देखा, और व्यापारियों के हाथ में अखबार जाने से बुराई बढ़ती गई। पैसा लेकर न्यूज लिखी जाने लगी,पेड न्यूज आज की पत्रकारिता का एक ज्वलंत मुद्दा है जिस पर आज हम सबको चर्चा करने की आवश्यकता है। ।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुये राष्ट्रीय एकता परिषद के उपाध्यक्ष रमेश शर्मा ने कहा कि पेड न्यूज की चर्चा में कभी अखबार के मालिक तथा कोई नेता शामिल नहीं होते। पत्रकार भी इस विषय पर चर्चा करने से भागते है पेड न्यूज का पैसा पत्रकारों के पास नहीं जाता अखबार मालिकों के पास जाता है आज हम इस स्थिति में नहीं है कि पूरी व्यवस्था को बदल सकें। इसलिए हमें कोई और ही रास्ता निकालना होगा जल्दी ऊंचे पद पर पहुंचने के लिए मालिक के कृपा पात्र बनने के लिए पेड न्यूज की इबारत हमने ही लिखी है अखबार में क्या झूठ है और क्या सच पब्लिक सब जानती है। उन्होंने कहा कि हमें खुद को इतना ताकतबर बनाना होगा । जमाना तोप का है,तो हमारे पास तोप होना चाहिए। जमाना पैसा का है, तो हमारे पास पैसा होना चाहिए ,तभी हम लड़ाई जीत सकते हैं। कार्यक्रम में आभार प्रदर्शित करते हुये वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रांताध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने कहा कि मैंने इस कार्यक्रम की कवरेज के लिए कोई सुपारी नहीं दी इसी का नतीजा है कि कार्यक्रम की सूचना कुछ ही अखबारों में दी गई यदि सुपारी देते तो इस कार्यक्रम के कवरेज को प्रमुखता दी जाती। उन्होंने कहा कि सुपारी न देने के कारण आज भोपाल के पत्रकारों की उपस्थिति नगण्य है जहा यूनियन ने 250 निमंत्रण पत्र दिये यदि उनमे से आधे भी आ जाते तो इस हाल मेबैठने के लिए जगह नहीं होती। मित्रों की उपस्थिति से लगता है कि सभी चाहते है कि पेड न्यूज का चलन पत्रकारिता में हो और उनका सोचना है कि वे जो भी खबर दे उसका उन्हे भुगतान मिले समाचार पत्र मालिकों के साथ पत्रकार भी चाहते है कि उन्हें हर समाचार का भुगतान मिले । आज जो उपस्थित है वो सब पेड न्यूज का विरोध करने वाले है ये सब धन्यवाद के पात्र है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता बाला भास्कर (हैदराबाद) तथा विशेष अतिथियों में नारायण शर्मा (छत्तीसगढ़), एस.एस.झा (बिहार) ,प्रेम शंकर (लखनऊ),एस. रघुनाथन (मद्रास), आर. नाथन (मद्रास), हेमराज तिवाड़ी (राजस्थान), सतीश सांखला (जयपुर),रोहितास सैन (राजस्थान), एम.एल.उपाध्याय (यू.पी.),संजीव शेखर (बिहार), सुब्रमण्यम (आंध्रप्रदेश), ध्रुव कुमार (बिहार) ,संजीव कुमार मिश्रा (बिहार), निशांत भाई (नागपुर),चक्रधर (नागपुर ), मीना पंडया (गुजरात) , राजू मनोहर लाल (मद्रास) तथा विशिष्ट अतिथियों में मनोज श्रीवास्तव ,तथा ओम मेहता उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन छत्तीसगढ़ से आए अहफाज रासिद ने किया ।
राज्यपाल से भेंट
राज्यपाल रामेश्वर ठाकुर से यूनियन के विभिन्न राज्यों के पदाधिकारियों ने राजभवन पहुंचकर भेंट की। राज्यपाल ने पदाधिकारियों को नव वर्ष की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पत्रकार हमेशा से ही समाज के सजग प्रहरी हैं। यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने विभिन्न राज्यों से आये पदाधिकारियों से राज्यपाल का परिचय कराया।

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