भोपाल: 03/05/2011। भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं जनसम्पर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने विगत वर्षो में पत्रकारों के हित के लिये बहुत कुछ किया है और बहुत कुछ करने की योजनाओं पर गंभीरता से चिंतन कर रहे है। उक्त बात वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष एवं नेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्टस के राष्ट्रीय सेकेट्री जनरल राधावल्लभ शारदा ने भोपाल में सम्पन्न बैठक में कही। उन्होंने कहा कि वर्षो पूर्व पत्रकारों को सरकार आवास, स्वास्थ्य, राज्य परिवहन की यात्री बसों में नि:शुल्क यात्रा, विश्राम भवन, विश्राम गृह में निम्रतम किराये पर रूकने की व्यवस्था आदि सुविधाएं मिलती थी परन्तु अचानक सारी सुविधा समाप्त हो गई।
वर्ष 2003 में भाजपा ने राज्य में अपनी सरकार बनाई। तब से लेकर आज तक इस सरकार ने भोपाल में पत्रकारों को आवास हेतु दो गृह निर्माण संस्थाओं को भूमि आवंटित की। प्रदेश के कई जिलों में प्रेस क्लब के लिये भूमि एवं अनुदान दिया। पत्रकारों को पत्रकार कल्याण कोष से पूर्व में रू. 20 हजार तक मिलता था उसे बढ़ाकर रू. 50 हजार तथा गंभीर बीमारी पर रू. एक लाख तक दिया जा रहा है। अधिमान्यता नियमों को सरल करते हुये तहसील स्तर के पत्रकारों को अधिमान्यता दी जाने लगी। तहसील स्तर की अधिमान्यता के लिये मालिक अथवा संपादक की अनुशंशा के स्थान पर जिला सम्पर्क अधिकारी की अनुशंशा कर दी है। साप्ताहिक, मासिक एवं छोटे समाचार पत्रों को आवेदन देने पर विज्ञापन मिलने लगें। अब विज्ञापन के एवज में अमानत के रूप में बैंक ड्राफ्ट नहीं लगता। अधिमान्यता प्राप्त, पत्रकारों को टोल टेक्स नहीं लगता जिसकी घोषणा बजट सत्र में मंत्री जनसम्पर्क लक्ष्मीकांत शर्मा ने की जो लागू है।
पत्रकार, फोटोग्राफर, केमरामेन, के लिये सरकार द्वारा दुर्घटना बीमा रू. एक लाख तक का किया जाना है जो गजट में प्रकाशन हेतु भेजा जा चुका है। इस बीमा योजना में पत्रकार 25 प्रतिशत तथा शेष 75 प्रतिशत जन सम्पर्क विभाग याने राज्य सरकार द्वारा दी जायेगी। यह बीमा 21 वर्ष से 70 वर्ष तक की उम्र के लिये लागू होगी।
सरकार उन असहाय पत्रकारों जिनकी आय के श्रोत नही है और 65 वर्ष से अधिक उम्र है को आर्थिक मदद करने के लिये भी विचार कर रही है। इस योजना का नाम श्रद्धा निधि हो सकता है।
इतना ही नहीं ग्रामीण एवं जिले के पत्रकारों को प्रशिक्षण देने हेतु कार्यशालाएं आयोजित कर रही है। इसके अलावा समय-समय अन्य विषयों पर भी विचार किया जाता है। जैसे त्रैमासिक बैठकों का आयोजन।
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