श्रमजीवी पत्रकारों एवं समाचार पत्र कर्मचारियों के लिये
1. समाचार पत्र मालिकों ने वेज बोर्ड के निर्णय के अनुसार वेतन न देने की नियत से विभिन्न नाम से समाचार एजेन्सी बना रखी है जिसमें श्रमजीवी पत्रकारों को कम वेतन पर रखा जाता है और उनके द्वारा किया गया कार्य समाचार पत्र के कार्य में समाहित कर लिया जाता है। अत: समाचार पत्रों की स्वयं की एजेन्सी में कार्यरत श्रमजीवी पत्रकारों को भी वेज बोर्ड सीमा में लिया जाए।
2. वर्तमान समय में पत्रकारों को बड़ा पैकेज देकर एक वर्ष, दो वर्ष तीन वर्ष के लिये ठेके पर रखा जाता है जो बंधुआ मजदूर की तर्ज पर समाचार पत्र मालिकों के आदेश के अनुसार समाचार लेखन का कार्य करता है जिससे स्वच्छ एवं निर्भीक पत्रकारिता समाप्त हो रही है अत: ठेका पध्दति पर काम करने वाले पत्रकारों को भी वेज बोर्ड की सीमा में लिया जाए।
3. बढ़ती मंहगाई को एवं फैलते शहर को ध्यान में रखकर वेतन के साथ-साथ आवास, वाहन, चिकित्सा, भत्ता आदि में वृध्दि की जाना चाहिये।
4. पत्रकारों की पदोन्नति उनकी सीनियारिटी के आधार पर हो।
5. जिले, तहसील स्तर पर कार्यरत श्रमजीवी पत्रकारों को नियुक्ति पत्र वेतन एवं अन्य सुविधायें दिलाई जाए। अधिकांश पत्रकारों को (लगभग 90 प्रतिशत पत्रकारों को) कोई सुविधा नहीं मिलती जबकि समाचार पत्रों के जिलों के पन्ने अलग से प्रकाशित होते है, जिले से प्रकाशित होने के नाते अतिरिक्त विज्ञापन मिलते है।
6. राय शासन के जनसंपर्क विभाग द्वारा 31 मार्च वर्ष 1997 में विज्ञापन नीति के प्रावधानों में स्पष्ट लिखा था कि वेतन आयोग की सिफारिशों का पालन नहीं करने वाले समाचार पत्रों द्वारा शासन द्वारा जारी विज्ञापनों के देयकों से 15 प्रतिशत कटौती की जायेगी का पालन होना चाहिए। यह नियम दैनिक समाचार पत्रों (सभी) पर लागू हो। इसी तरह केन्द्र के दृश्य प्रचार निदेशालय, रेल्वे, अर्धशासकीय संस्थाएं, निगम मंडलों आदि के विज्ञापनों के भुगतान से 15 प्रतिशत की कटौती होना चाहिये।
7. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े फीचर एवं समाचार एजेंसी में कार्यरत, श्रमजीवी पत्रकार, कैमरा मैन, कैमरा सहायक, तथा समाचार पत्रों में काम करने वाले अन्य कर्मचारियों के लिये भी उपरोक्त सुझावों के अनुसार निर्णय लिया जाना चाहिए।
8. राय सरकार ने समाचार पत्रों में कार्यरत श्रमजीवी पत्रकारों के लिये पेंशन सुविधा न होने के कारण 65 वर्ष से अधिक आयु के पत्रकारों के लिये श्रध्दा निधि देने की घोषणा इसी बजट सत्र में की है, पेंशन देने का दायित्व भी समाचार पत्रों पर निर्धारित होना चाहिये।
9. समाचार पत्र संस्थानों में तहसील स्तर से लेकर समाचार पत्रों के प्रकाशन स्थल तक काम करने वाले समस्त श्रमजीवी पत्रकार एवं गैर पत्रकारों को नियुक्ति पत्र एवं वेतन प्रमाण पत्र दिया जाए।
प्रस्तुतकर्ता :- राधावल्लभ शारदा
2. वर्तमान समय में पत्रकारों को बड़ा पैकेज देकर एक वर्ष, दो वर्ष तीन वर्ष के लिये ठेके पर रखा जाता है जो बंधुआ मजदूर की तर्ज पर समाचार पत्र मालिकों के आदेश के अनुसार समाचार लेखन का कार्य करता है जिससे स्वच्छ एवं निर्भीक पत्रकारिता समाप्त हो रही है अत: ठेका पध्दति पर काम करने वाले पत्रकारों को भी वेज बोर्ड की सीमा में लिया जाए।
3. बढ़ती मंहगाई को एवं फैलते शहर को ध्यान में रखकर वेतन के साथ-साथ आवास, वाहन, चिकित्सा, भत्ता आदि में वृध्दि की जाना चाहिये।
4. पत्रकारों की पदोन्नति उनकी सीनियारिटी के आधार पर हो।
5. जिले, तहसील स्तर पर कार्यरत श्रमजीवी पत्रकारों को नियुक्ति पत्र वेतन एवं अन्य सुविधायें दिलाई जाए। अधिकांश पत्रकारों को (लगभग 90 प्रतिशत पत्रकारों को) कोई सुविधा नहीं मिलती जबकि समाचार पत्रों के जिलों के पन्ने अलग से प्रकाशित होते है, जिले से प्रकाशित होने के नाते अतिरिक्त विज्ञापन मिलते है।
6. राय शासन के जनसंपर्क विभाग द्वारा 31 मार्च वर्ष 1997 में विज्ञापन नीति के प्रावधानों में स्पष्ट लिखा था कि वेतन आयोग की सिफारिशों का पालन नहीं करने वाले समाचार पत्रों द्वारा शासन द्वारा जारी विज्ञापनों के देयकों से 15 प्रतिशत कटौती की जायेगी का पालन होना चाहिए। यह नियम दैनिक समाचार पत्रों (सभी) पर लागू हो। इसी तरह केन्द्र के दृश्य प्रचार निदेशालय, रेल्वे, अर्धशासकीय संस्थाएं, निगम मंडलों आदि के विज्ञापनों के भुगतान से 15 प्रतिशत की कटौती होना चाहिये।
7. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े फीचर एवं समाचार एजेंसी में कार्यरत, श्रमजीवी पत्रकार, कैमरा मैन, कैमरा सहायक, तथा समाचार पत्रों में काम करने वाले अन्य कर्मचारियों के लिये भी उपरोक्त सुझावों के अनुसार निर्णय लिया जाना चाहिए।
8. राय सरकार ने समाचार पत्रों में कार्यरत श्रमजीवी पत्रकारों के लिये पेंशन सुविधा न होने के कारण 65 वर्ष से अधिक आयु के पत्रकारों के लिये श्रध्दा निधि देने की घोषणा इसी बजट सत्र में की है, पेंशन देने का दायित्व भी समाचार पत्रों पर निर्धारित होना चाहिये।
9. समाचार पत्र संस्थानों में तहसील स्तर से लेकर समाचार पत्रों के प्रकाशन स्थल तक काम करने वाले समस्त श्रमजीवी पत्रकार एवं गैर पत्रकारों को नियुक्ति पत्र एवं वेतन प्रमाण पत्र दिया जाए।
प्रस्तुतकर्ता :- राधावल्लभ शारदा
No comments:
Post a Comment