वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन का विधान (पं।क्र। 6371)
१. इस यूनियन का नाम वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन होगा और इसे इस विधान में संस्था के नाम से सम्बोधित किया जावेगा एवं अंग्रेजी में भी इसे वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन से ही सम्बोधित किया जावेगा तथा कार्य क्षेत्र सम्पूर्ण मध्य प्रदेश होगा।२. यूनियन का पंजीयत कार्यालय एफ.88/19 तुलसी नगर, भोपाल होगा। ३. यूनियन की प्रांतीय,संभागीय एवं जिला ईकाईयों का गठन करना। उद्देश्य ४. (अ) इस संस्था के उद्देश्य निम्नांकित होंगे :-१. सम्पूर्ण म.प्र. के प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया उद्योग में काम करने वाले पत्रकारों को संगठित व एकसूत्र में करना एवं सेवायोजक के साथ उनके आपसी संबंध नियमानुकूल रहें। ऐसी व्यवस्था करना। २. संस्था के सदस्यों के लिये नौकरी तथा जीवनयापन की स्थिति सुधारना। ३. उनकी कठिनाईयों का निवारण करने का प्रयत्न करना। ४. पारिश्रमिक की कमी को रोकना और सम्भवत: अग्रिम रूप में दिलाने की समयानुसार व्यवस्था करना। ५. सेवायोजक व सेवायुक्त के बीच उत्पन्न विवादों के काल में काम के अवरोध को टालना और सौहाद्र से आपसी हल निकालने का प्रयत्न करना।६. बीमारी,बेकारी,निर्बलता,वृद्धावस्था तथा मृत्यु के समय सदस्यों के लिए सहायता प्राप्त करना। ७. दुर्घटना के समय सदस्यों के लिये क्षतिपूर्ति (विधान के अधीन क्षतिपूति) प्राप्त करना।८. नौकरी या उससे संबंधित प्रकरणों से सदस्यों को वैधानिक सहायता देना। ९. तालाबन्दी या हड़ताल, जो संस्था की स्वीकृति द्वारा की गयी हो, के समय सदस्यों को सहायता दिलाने का प्रयत्न करना। १०. उन श्रम संगठनों से, जिनके उद्देश्य संस्था के सदृश हों, के साथ सहकार्य करना तथा संस्था को उनसे सम्बद्ध करना। ११. भारतीय व्यावसायिक संघ विधान में निहित नीति के अनुसार प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मिडिया से जुड़े मिडियाकर्मी वर्ग कीसहायता करना। १२. साधारणत: सदस्यों की सामाजिक, आर्थिक, पारस्परिक तथा राजनैतिक जीवन में सुधार करने का प्रयास करना। १३. औद्योगिक विवादों में मिडियाकर्मी पत्रकारों का प्रतिनिधित्व करना। सामान्य निधि का उपयोग५. भारतीय व्यावसायिक संघ अधिनियम सन् 1926 की धारा 15 के अनुसार सामान्य निधि का उपयोग निम्नांकित मदों परही किया जा सकता है।१. संस्था के पदाधिकारियों के वेतन, भत्ता तथा अन्य खर्च के भुगतान हेतु। २. संस्था संचालन का व्यय, जिसमें संस्था के हिसाब की जांच का भी व्यय सम्मिलित है। ३. ट्रेड यूनियन के नाते संस्था के अधिकार प्राप्त करने या सुरक्षित रखने हेतु अथवा संस्था के किसी सदस्य के अपने सेवायोजक के साथ जो संबंध हो उनसे निर्माण होने वाले अधिकार प्राप्त करने या सुरक्षित रखने के हेतु किसी ऐसी वैधानिक कार्यवाही का चलाना या उससे बचाव करना कि जिसमें एक पक्ष, संस्था या उसका कोई सदस्य हो।४. संस्था या उसके किसी सदस्य की ओर से किसी औद्योगिक विवाद को चलाना। ५. सदस्यों की औद्योगिक विवादों से होने वाली हानि की क्षतिपूर्ति । ६. सदस्यों के जीवन बीमा या बीमारी दुर्घटना या बेकारी के बीमेे उतारना या ऐसे बीमें के अधीन उन्हें लाना। ७. टे्रड यूनियन के दायित्व को उठाना, सामान्य निधि का उपयोग जिन उद्देशों के लिये निहित रहें, उनकी पूर्ति के हेतु सर्व साधारण पत्रकारों को कल्याण प्रद किसी कार्य में अनुदान देना, परन्तु किसी भी आर्थिक वर्ष में किसी भी समय इस मद का व्यय उस समय तक उस वर्ष में प्राप्त सामान्य निधि की आमदनी व वर्ष के प्रारंभ में सामान्य निधि के खाते जमा कुल रकम के एक चौथाई से अधिक नहीं होगा।८. सदस्यों या उनके अधिक्षकों के लिये शैक्षणिक, सामाजिक और धार्मिक लाभों की व्यवस्था जिसमें मृत सदस्यों के लियेमृत-क्रिया या धार्मिक- क्रिया के खर्च का भी समावेश होगा। ९. मुख्यत: सेवायाजय तथा सेवायुक्त के अपने प्रश्नों की चर्चा के हेतु प्रकाशित नियतकालिक पत्र चालूू रखना।सदस्यता पुस्तिका६. संस्था में सदस्यों की एक पुस्तिका रखी जावेगी, जिसमें सदस्यों के नाम (पिता के नाम सहित) आयु, निवास स्थान, काम करने का स्थान (पाली,खाता, या विभाग)जमा चन्दा, रसीद क्रमांक आदि का उल्लेख होगा। ७. उपर्युक्त पुस्तिका संस्था के प्रधान कार्यालय में छुट्टी को छोड़कर किसी भी अधिकारी या सदस्य के निरीक्षण हेतु रखी जावेगी।साधारण सदस्यता८. सम्पूर्ण म.प्र. के प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया व्यवसाय में कार्य करने वाला ऐसा कोई भी पत्रकार जिसे संस्था का विधान तथा नियम व उप-नियम मान्य है, सदस्यता शुल्क देकर संघ का सदस्य बनने की पात्रता रख सकता है। पत्रकार का अर्थ वह पत्रकार अथवा संवाददाता जो पत्रकारिता के व्यवसाय में लगा हो या स्वतंत्र पत्रकार है जिसके जीवन यापन का द्वितीय माध्यम पत्रकारिता भी हो। इनमें इलेक्ट्रॅानिक मीडिया से जुड़े पत्रकार, कैमरामैन, प्रूफरीडर, कातिब, कार्टूनिष्ट, प्रेस फोटोग्राफर, आर्टिस्ट एवं अंशकालिक पत्रकार शामिल होंगे। लेकिन समाचार पत्रों के मालिक, निदेशक और प्रबंध संपादक जो प्रबंध तंत्र के मालिकाना हितो से संबंध रखते हो सदस्य नहीं हो सकेंगे। उन समाचार पत्रों के मालिक संपादक जिन्होंने अपने समाचार पत्र में दूसरे पत्रकार को संपादकीय विभाग में कर्मचारी न रखा हो, संघ के सदस्य हो सकेंगे।सम्मानीय सदस्यों की सदस्यता९. जो व्यक्ति साधारण सदस्य होने की पात्रता नहीं रखता हो, उसे संस्था में सम्मानीय सदस्य की स्थिति में प्रवेश दिया जा सकता है और वह सम्मानीय सदस्यता के काल में प्रबंधकारिणी समिति में भी चुना या लिया जा सकता है। किन्तु ऐसे सदस्यों की संख्या भारतीय व्यावसायिक संघ अधिनियम की धारा 22 के अनुसार आधे से कभी भी अधिक नहीं होगी। सदस्यता शुल्क१०. संस्था की सदस्यता प्र्राप्ति के लिए रूपये एक नये पैये 00 प्रवेश शुल्क रहेगा। संस्था का सदस्यता शुल्क मासिक रूपये 10 नये पैसे 00 प्रति सदस्य होगा (वार्षिक रूपये एक सौ बीस भी लिया जा सकेगा।)११. सदस्यों को नियमों में सुझाये गये लाभ प्राप्त करने का अधिकर१. कोई भी सदस्य संस्था द्वारा सदस्यों को दिये गये लाभ को पाने का अधिकार कम से कम छह माह तक संस्था का सदस्य रहने और पूर्ण चन्दा चुकाने पर हो सकेगा।२. वह सदस्य जिस पर संस्था का बकाया चन्दा अथवा किसी प्रकार शेष है, जब तक कि उसका भुगतान पूरा नहीं कर देता, और दो मास की अवधि नहीं बीत जाती, संस्था द्वारा संचालित किसी भी लाभ को पाने का भागी नहीं होगा। ३. यदि संस्था का सदस्य प्रबंधकारिणी समिति का अनुमोदन एवं स्वीकृति लिये बिना किसी हड़ताल पर जावेगा तो वह संस्था द्वारा संचालित किसी भी लाभ को पाने का भागी नहीं होगा।अर्थ दण्ड एवं उनकी वसूली१२. किसी भी सदस्य की सदस्यता संस्था की सदस्यता शुल्क (मासिक चन्दा) न देने कि स्थिति में, प्रबंधकारिणी समिति की अनुमति से पांच मास एवं उसके अभाव में तीन मास में, समाप्त हो जावेगी किन्तु शेष चन्दा दण्ड के बतौर पुन: प्रवेश शुल्क देने पर उसकी सदस्यता निरंतरित (जारी) की जा सकेगी।साधारण सभा १३. संस्था के सम्पूर्ण सदस्यों की वार्षिक साधारण सभा फरवरी अथवा मार्च में बुलाई जावेगी जिसमें निम्नलिखित कार्यवाही होगी:-१. संस्था द्वारा किये गये कार्य का प्रतिवेदन (रिपोर्ट) तथा जांच किये गये हिसाब को मान्य करना। २. तीन वर्ष के लिये पदाधिकारी तथा प्रबंधकारिणी के सदस्य चुनना।३. अन्य कार्यवाही जो सभापति के अनुमोदन से हो, सभा में प्रस्तुत करना।१४. अध्यक्ष संस्था के सदस्यों की साधारण सभा को जब वह आवश्यक समझे, तब बुला सकता है। और उसी भाति अध्यक्ष कोसंस्था की साधारण सभा बीस प्रतिशत सदस्यों के लिखित मांग करने पर प्रार्थना पत्र प्राप्ति से बीस दिन की अवधि मेंबुलाना होगी। १५. सदस्यों की साधारण सभा की सूचना कम से कम पन्द्राह दिवस पूर्व देनी होगी। १६. साधारण सभा के लिये सम्पूर्ण सदस्य संख्या के एक तिहाई सदस्यों की उपस्थिति आवश्यक (कोरम) मानी जावेगी। आवश्यक उपस्थिति केे अभाव के कारण स्थगित की गई सभा के लिये दूसरी बैठक में उपस्थिति का आवश्यक प्रतिबंध नहीं रहेगा।संस्था के अधिकारीगण व उनकी नियुक्ति१७. संस्था के पदाधिकारियों में (1) अध्यक्ष (एक), (2) उपाध्यक्ष (ग्यारह) (3) महासचिव अध्यक्ष द्वारा मनोनीत होगा (एक), (4) सचिव (ग्यारह), (5)संगठन सचिव (ग्यारह), (6) सहसचिव (ग्यारह) एवं (7) कोषाअध्यक्ष (एक) एवं कार्यसमिति सदस्य 64 महासचिव को छोड़कर ये सब संस्था की साधारण सभा में चुने जायेंगे। एवं दुबारा चुनाव में ग्राहा होंगे। संस्था का प्रबन्ध १८. प्रबन्धकारिणी समिति भारतीय व्यावसायिक संघ अधिनियम सन् 1926 की धारा 21, को सम्मुख रखते हुए संस्था का आर्थिक तथा सम्पूर्ण अन्य कार्यभार प्रबन्धकारिणी समिति द्वारा चलाया जावेगा, जिसमें साधारण सभा में चुने हुये सदस्य एवं अधिकारीगण होंगे। प्रबन्धकारिणी के कुल सदस्यों की संख्या 111 होगी।प्रबन्धकारिणी समिति की सभांए १९. प्रबन्धकारिणी समिति तीन माह में कम से कम एक बार किसी भी निश्चित दिन और स्थान पर, जो अध्यक्ष द्वारा प्रबन्धकारिणी सदस्यों से चर्चा कर तय होगा, बैठक रखेगी।२०. प्रबन्धकारिणी समिति के कुल सदस्यों की एक तिहाई उपस्थिति कथित बैठक के लिये आवश्यक (कोरम) मानी जावेगी, स्थगित की गई बैठक के लिये आवश्यक उपस्थ्िित (कोरम) का प्रतिबन्ध नहीं होगा। २१. प्रबन्धकारिणी समिति की बैठक की सूचना कम से कम सात दिन पूर्व देना आवश्यक होगा। पदाधिकारी के कर्तव्य २२. अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष: अध्यक्ष संस्था की तथा प्रबंधकारिणी समिति की समस्त सभाओं का सभापतित्व करेगा। सभाओं में व्यवस्था बनाये रखना, सभा के सम्पूर्ण कार्यवाही लेखा (मिनिट्स पर हस्ताक्षर करना और समान मत प्रदर्शन होने पर ही अपना मत देना अध्यक्ष का कर्तव्य है। आवश्यकता के समय अध्यक्ष को यह अधिकार होगा कि वह कभी भी संस्था या प्रबंधकारिणी समिति की विशेष बैठक बुलाये, अध्यक्ष को संस्था में महासचिव के पद एवं प्रबंधकारिणी प्रंातीय पदाधिकारी के रिक्त पद पर संस्था के सक्रिय सदस्य के मनोनयन का अधिकार होगा। अध्यक्ष की अनुपस्थिति में वरीयता क्रम के अनुसार उपाध्यक्ष सभा में अध्यक्ष का कार्य संचालन करेगा। किसी भी कारण से अध्यक्ष का पद रिक्त होने वरीयता क्रम में प्रथम उपाध्यक्ष अध्यक्ष का पद ग्रहण करेगा। २३. महासचिव- महासचिव संस्था तथा प्रबंधकारिणी समिति की समस्त सभाओं की कार्यवाही के लेखा (मिनिट्स लिखेगा, सम्पूर्ण पत्र व्यवहार करेगा, सभाओं को निमंत्रित करेगा, सम्पूर्ण हिसाब रखेगा,सदस्यों को साधारण सभा की सूचना एजेण्डे सहित व्यक्तिगत हस्ताक्षर प्राप्त कर या नोटिस बोर्ड पर चस्पा कर देगा। संस्था के कारोबार की पूर्णत: देख-रेखा और आप व्यय की रसीदों सहित सही जांच रखेगा। वह वार्षिक आय व्यय का लेखा बनावेगा जिसमें आय व्यय का प्रत्येक अंक सही दशा में दिखाया गया हो। व भारतीय व्यावसायिक संघ अधिनियम सन् 1926 के अन्तर्गत रतिस्ट्रार ऑफ ट्रेड यूनियन म.प्र. को भेजे जाने वाले वार्षिक आय व्यय पत्रक तथा अन्य सूचनादि भेजने के लिये समय-समय पर उत्तरदायी होगा। यदि इस कार्य संचालन हेतु आवश्यक हो तो महासचिव का यह अधिकार होगा कि वह अध्यक्ष के परामर्श अथवा प्रबन्धकारिणी समिति के अनुमोदन से कोई भी सहायक लिपिक (क्लर्क) लेखन संबंधी कार्य हेतु नियुक्त कर ले। ऐसे सम्पूर्ण कार्य, सहायक सचिव के नियंत्रण में कार्य सम्पादन करेंगे। महासचिव संस्था की ओर से मांग पत्र/ सूचना पत्र देना/ समझौता कार्यवाही में भाग लेना। समझौते पर हस्ताक्षर करना। वह शासकीय/ अर्धशासकीय व अशासकीय विभागों में संस्था का प्रतिनिधित्व करेगा। सदस्य/ सदस्यों के प्रकरण में कार्यकारिणी समिति की अनुमति से न्यायालयीन कार्यवाही करेगा। महासचिव की अनुपस्थिति में सचिव महासचिव के समस्त कार्य देखेगा।२४. सचिव-सचिव, महासचिव को सामान्य रूप से उसके कार्य में सहायता देगा। सहसचिवों में से कोई एक जिसे अध्यक्ष आदेशित करेंगे महासचिव या सचिव की अनुपस्थिति में उनका कार्यभार सम्भालेगा।२५. कोषाध्यक्ष-कोषाध्यक्ष संस्था में समय-समय पर प्राप्त होने वाले धन को बैंक या अन्यत्र कहीं सुरक्षित रखने तथा आवश्यकता के समय संस्था को देने के लिये उत्तरदायी होगा। वह प्रबन्धकारिणी समिति द्वारा स्वीकृत किये गये सम्पूर्ण व्यय का भुगतान करेगा। अध्यक्ष अथवा महासचिव के हस्ताक्षर लिये बिना कोषाध्यक्ष को बैंक से पैसा निकालने का अधिकार नहीं होगा।रिक्त स्थानों की पूर्ति एवं पदच्युति तथा सदस्यता समाप्ति२६. यदि प्रबन्धकारिणी के कार्यकर्ता अथवा संस्था के पदाधिकारी का कोई पद त्याग पत्र, तबादला या मृत्यु आदि के कारण रिक्त हुआ हो, तो अध्यक्ष अथवा प्रबन्धकारिणी समिति द्वारा मनोनयन करके (को आप्शन द्वारा) भरा जावेगा। २७. संस्था का कोई भी साधारण सदस्य, कार्यकर्ता,अधिकारी या प्रबन्धक या प्रबन्धकारिणी समिति का सदस्य संस्था को धोखा देने या उसके हित के विरूद्ध कार्य करने के अपराध में साधारण सभा से तीन चौथाई बहुमत से निकाला जा सकता है, किन्तु प्रतिबन्ध यह है कि ऐसे अधिकारी या सदस्य को उसके बर्ताव के विषय मेेें स्पष्टीकरण देने का पूर्ण अवसर दिया जाना चाहिए।विधान में परिवर्तन२८. विधान में कोई भी संशोधन परिवर्तन घट-बढ़ किसी भी समय साधारण सभा में संस्था के एक तिहाई सदस्यों के बहुमत से किया जा सकता है जबकि किये जानेे वाले परिवर्तन की सूचना सदस्यों को कम से कम सात दिन पूर्व दी गयी हो। भारतीय व्यवसायिक संघ अधिनियम 1926 के अन्तर्गत रजिस्ट्रार ऑफ ट्रेड युनिसन्स महोदय द्वारा समय-समय पर विधान में संशोधन या परिवर्तन सुझाए जावेंगे अनुसार विधान में परिवर्तन अविलम्ब किया जावेगा। कोष सुरक्षित रखने की व्यवस्था२९. सदस्यों से प्राप्त चन्दा, दान आदि से प्राप्त से कुल निधि का संस्था की सामान्य निधि में समावेश होगा। प्रबन्धकारिणी, समिति द्वारा अनुमोदित बैंक या बैंको में संस्था के नाम से यह धनराशि जमा की जावेगी जिसका व्यवहार कोषाध्यक्ष, अध्यक्ष, या महासचिव में से कोई दो व्यक्ति करेंगे। महासचिव अथवा कोषाध्यक्ष इनके पास हाथ खर्च के लिये 1000 रूपये (एक हजार रूपये) से अधिक निधि नहीं रख सकेंगे।वार्षिक हिसाब परीक्षण३०. संस्था हिसाब का वार्षिक परीक्षण योगय आडिटरों द्वारा कराने के लिए जिन्हें प्रबंधकारिणी समिति ने भारतीय व्यावसायिक संघ अधिनियम के अधीन बने मध्यप्रदेश ट्रेड यूनियन रेगयूलेशन्स सन् 1961 के रेगयूलेशन्स क्रमांक 18 के अनुसार नियुक्त किया हो, व्यवस्थाएं करेगी। हिसाब के लिये संस्था का आर्थिक वर्ष 1, जनवरी से 31 दिसम्बर तक का रहेगा व भारतीय व्यावसायिक अधिनियम सन् 1926 की धारा 28 के अन्तर्गत वार्षिक विवरण आदि निर्धारित फार्म में आय व्यय परीक्षकों के हस्ताक्षर युक्त पंजीयन व्यावसायिक संघ की ओर प्रतिवर्ष 31 मार्च के पूर्व भेजा जावेगा।हिसाब की पुस्तकों का निरीक्षण३१. संस्था के हिसाब की पुस्तक कोई भी सदस्य या पदाधिकारी के निरीक्षण हेतु प्रधान कार्यालय में छुट्टियों के दिन छोड़कर कार्यालय के कार्यकाल में उपलब्ध रहेगी।संस्था का विघटन३२. संस्था का विघटन, उपाध्यक्ष सदस्यों का तीन चौथाई बहुमत से इसी हेतु बुलायी गयी साधारण सभा द्वारा किया जा सकता है जबकि ऐसी सभा में कुल मतदान उस समय सस्ंथा में प्रविष्ट सम्पूर्ण सदस्य संख्या के दो तिहाई से कम न हो। सम्पूर्ण दायित्व का चुकारा करने के पश्चात शेष निधि का निराकरण सभा विघटन के निर्णयानुसार किया जावेगा।३३. संघ का अपने उद्देशों की पूर्ति के लिये जब तक की संसाधन एवं पंच निर्णय के मार्ग उपलब्ध है यूनियन हड़ताल के लिये मंजूरी नहीं देगी। वह उस समय तक हड़ताल नहीं करेगी जब तक कि हड़ताल के लिये मतदान न लिया गया हो और अधिकांश सदस्यों ने हड़ताल के पक्ष में मत न दिया हो। हस्ता :-(राधावल्लभ शारदा)प्रांतीय अध्यक्ष
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