किसी भी विभाग के सुचारू संचालन के लिये एक सुस्पष्ट और सुविकसित नीति आवश्यक है। जनसम्पर्क विभाग शासन और जनता के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी अथवा रोत की भूमिका निभाता है। तथापि इस विभाग की अभी तक कोई घोषित लिखित नीति नहीं है,इसके बावजूद विभाग अपने दायित्वों का यथेष्ठ कुशलता से निर्वाह करता आ रहा है।,
बहरहाल, सूचना संचार क्रांति, सूचना विस्फोट तथा पत्र-पत्रिकाओं के साथ-साथ,पत्रकारों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि और इसके कारण विभाग की तेजी से बदलती भूमिका को देखते हुये अब विभाग की नीति की आवश्यकता शिद्दत से महसूस की जा रही है। इस नीति से जहां जनहित के लिये शासन द्वारा किये जा रहे कार्यों का अधिक अच्छा प्रचार प्रसार होगा वहीं पत्रकारो के हितों का भी संरक्षण होगा और जनसंपर्क विभाग के कर्मियों को भी इसका लाभ मिलेगा और उनकी कार्य कुशलता बढ़ेगी।
इन सभी तथ्यों के मद्देनजर माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान ने 23 जनवरी 2006 को भोपाल में आयोजित एक पत्रकार समागम में म.प्र.शासन की जनसंपर्क नीति बनाये जाने की घोषणा की।
माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा के परिपालन में राज्य शासन ने मध्यप्रदेश जनसंपर्क नीति बनाने के लिये 17 फरवरी 2006 को एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया तत्कालीन प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा डॉ. भागीरथ प्रसाद की अध्यक्षता में गठित इस समिति में प्रमुख सचिव वाणिज्य एवं उद्योग श्री ओ.पी.रावत और प्रमुख सचिव, गृह श्री सत्य प्रकाश को सदस्य तथा आयुक्त एवं सचिव, जनसम्पर्क श्री मनोज श्रीवास्तव को सदस्य सचिव नामांकित किया गया।
समिति के विभिन्न संभागों का दौरा कर वहां पत्रकारों के साथ बैठक कर प्रस्तावित जनसंपर्क नीति के विभिन्न पहलुओं पर उनके साथ सघन और व्यापक विचार विमर्श किया और उनसे सुझााव प्राप्त किये।
इन बैठकों में पत्रकारो ंने सूचना तथा जनसंपर्क के क्षेत्र में आयेेेे बदलावों को देखते हुये संचार व्यवस्था में सुधार तथा मीडिया प्रतिनिधियों के कल्याण के संबंध में उपयोगी सुझाव दिये।
इसके अलावा विभाग में कार्यरत अधिकारियों, सेवा निवृत्त अधिकारियों तथा अन्य विशेषज्ञों से भी सुझाव प्राप्त किये गये। इन सुझावों के आधार पर विभाग की विभिन्न शाखाओं के कार्य, विभाग की कार्य पद्धति तथा पत्रकार कल्याण संबंधी प्रावधानों को शामिल करते हुये प्रस्तावित नीति का प्रारूप तैयार किया गया है जो संलग्न है।
2- इस प्रारूप में समिति की मुख्य अनुश्ंासायें इस प्रकार हैं-
1. पत्रकार कल्याण- राज्य में पत्रकार कल्याण कार्यक्रमों का विस्तार किया जाये पत्रकारों को गंभीर रोगों में सहायता के वर्तमान प्रावधानों को अधिक उदार बनाने के साथ ही निम्नलिखित नई योजनायें भी प्रारंभ की जायें-
क्र आकस्मिक मृत्यु होने पर परिवारजनों को सहायता
क्र प्राकृतिक विपत्ति, जैसे आगजनी आदि, प्रकरणों में सहायता
क्र वृद्धावस्था में श्रृद्धा निधि का प्रदाय
क्र पत्रकार प्रशिक्षण कार्यक्रम
क्र आवास व्यवस्था के लिये —भूखंडों का आवंटन
क्र उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिये पुरस्कार
क्र पत्रकार बीमा योजना।
इन नई योजनाओं के विस्तृत प्रस्ताव संलग्न हैं।
2. अधिमान्यता नीति- राज्य अधिमान्यता नीति को इस दृष्टि से संशोधित किया जाये कि इलेक्ट्रोनिक मीडिया में कार्यरत पत्रकारों को अधिमान्यता दिये जाने के लिये सुसंगत और स्पष्ट नीति हो तथा इसके साथ ही समाचार संकलन करने वाले पत्रकारों को अधिमान्यता दिये जाने के नियम अधिक उदार और औचित्यपूर्ण हो।
3. विज्ञापन नीति : राज्य शासन ने विज्ञापन नीति इसके पूर्व वर्ष 1997 में बनाई थी। पिछले 10 वर्षों में मीडिया के क्षेत्र में हुये व्यापक प्रावधानों के परिप्रेक्ष्य में विज्ञापन नीति में संशोधन प्रस्तावित किया गया है और लघु और मझौले पत्रों को विज्ञापन दिये जाने के लिये तार्किक सुझाव भी दिये गये हैं। इस संदर्भ में समिति की यह भी अनुशंसा भी कि है कि इलेक्ट्रानिक मीडिया में हो रही तेजी से प्रसार को देखते हुये इस मीडिया को विज्ञापन दिये जाने के लिये जनसंपर्क के विज्ञापन बजट में कम से कम दो करोड़ रू. की अतिरिक्त वृद्धि की जाये। वर्तमान में जो विज्ञापन बजट प्राप्त हो रहा है वह प्रिंट मीडिया की आवश्यकतानुसार ही रखा जाता रहा है। इलेक्ट्रोनिक मीडिया के लिये पृथक से किसी बजट का प्रावधान पिछले वर्षों में कभी नहीं रखा गया है। इस कारण इन दोनों विधाओं के साथ समुचित न्याय नहीं हो पाता है।
4 . मीडिया सेंटरो की स्थापना : यह प्रस्तावित है कि राज्य की राजधानी और नई दिल्ली में आधुनिक संचार प्रणाली युक्त मीडिया सेंटर स्थापित किये जायें। जहां पर पत्रकारों को उनकी आवश्यकता के अनुसार संदर्भ सामग्री उपलब्ध हो, राज्य शासन की नीतियों और कार्यक्रमों के क्रियांवन की जानकारी सुलभ हो तथा उनको अपनी प्रकाशन सामग्री के निर्गमन के लिये भी साधन मिल सकें।
5. विभागीय संरचना : जनसंपर्क विभाग का सेटअप इसके पूर्व वर्ष 1972 में बना था। इसके बाद यद्यपि समय-समय पर कुछ नये पद निर्मित हुये हैं और कुछ पद समाप्त भी हुये हैं परन्तु विभागीय सेटअप का समग्र रूप से कोई विचार नहीं हो सका है। यह विभाग राज्य शासन और मीडिया जगत दोनों की अपेक्षा के अनुरूप सशक्त रूप से कार्य कर सकें, इस दृष्टि से सेटअप का पुन: निर्धारण आवश्यक हो गया है। संलग्न प्रारूप में विभाग की संरचना को पुनर्निधारित करते हुये विभिन्न संवर्गो में कुल 151 नए पद स्वीकृत किये जाना प्रस्तावित हैं। इनमें प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी के 56 पद, तृतीय श्रेणी के 76 तथा चतुर्थ श्रेणी के 19 पद शामिल हैं। निर्मित किये जाने वाले पदों में 50 पद उन्नत किये जायेंगें। यदि ये पद स्वीकृत किये जाते हैं तो इनके लिये शासन पर आने वाला अनुमानित अतिरिक्त वित्तीय भार कुल केवल 73.00 लाख रूपये वार्षिक होगा। इनमें नये तीन जिलों में कार्यालय स्थापित करने के लिये अगले पर होने वाला व्यय भी शामिल है।
6 . राज्य सूचना सेवा का गठन : जनतांत्रिक राज्य प्रणाली में जनता तक सूचनाओं का सम्प्रेषण उत्तर दायित्व का कार्य है। इसके निर्वहन के लिये जितनी आवश्यकता जनसंपर्क के विभाग के सशक्तिकरण की है, उतनी ही यह भी जरूरी है कि शासन के सभी विभागों और संस्थाओं को भी सूचना सम्प्रेषण के इस महत्वपूर्ण कार्य में भागीदार बनाया जाये।ं वर्तमान में यह व्यवस्था नहीं है कि महत्वपूर्ण विकास और निर्माण विभागों की जनोपयोगी सूचनाओं के संकलन,आकल्पन और वितरण के लिये इन विभागों में तकनीकी रूप से सक्षम सूचना अधिकारी पदस्थ हों। इस दृष्टि से जिस प्रकार प्रदेश में राज्य प्रशासनिक सेवा,राज्य वित्त सेवा आदि सुगठित सेवायें स्थापित हैं उसी प्रकार राज्य सूचना सेवा स्थापित की जाये। उपरोक्त दृष्टिकोण से प्रस्तावित है कि राज्य शासन की नई संपर्क नीति में राज्य सूचना सेवा के गठन का प्रावधान किया जाये।
7 . आधुनिक संचार प्रणाली:- सूचना क्रांति के इस युग में संचार प्रणाली की इस अहम भूमिका रहती है अत: इस प्रणाली को आधुनिक परिपेक्ष्य में अधिक प्रभावी बनाये जाने के लिये यह प्रस्तावित है कि मुख्यालय भोपाल सहित प्रदेश के समाचार केन्द्रों की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण माने जाने वाले जिला कार्यालय यथा इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, सागर, रीवा,उज्जैन तथा भोपाल को पाइंट इन्टरनेट लीज लाइनों से जोड़ा जाये। इससे मुख्यालय भोपाल और प्रस्तावित जिला कार्यलयों के बीच निरंतर संपर्क बना रहेगा और डाटा को त्वरित सम्प्रेषित किया जा सकेगा। इसके अलावा आई.पी.व्हाइस डाटा फोन के माध्यम से आपस में दूरभाष की तरह की सुविधा असीमित और शुल्क रहित मिल जायेगी। मुख्यालय भोपाल और प्रदेश के सभी संभागीय स्तर के कार्यालयों में डेटाबेस सर्वरों की स्थापना हो। इससे मुख्यालय की न्यूज संभागीय कार्यालय अपने अपने फोल्डर से प्राप्त कर उनका व्यापक प्रचार-प्रसार त्वरित रूप से कर सकेगें।
8.फोटो फिल्म शाखा : फोटो शाखा में वर्तमान में जो कैमरे उपलब्ध हैं उनको वर्तमान आवश्यकता के संदर्भ में आधुनिकतम बनाया जाना आवश्यक है। यह प्रस्तावित है कि मुख्यालय और जिला जनसंपर्क कार्यालयों के लिये 60 स्टील कैमरे और 14 वीडियो कैमरे एसेसरीज सहित क्रय कियेे जायें।
9. वाहन व्यवस्था - जनसंपर्क विभाग में 88 वाहन पिछले वर्षों में पुराने हो जाने के कारण शासन के निर्देशों के अंतर्गत नीलाम किये जा चुके हैं। आगामी 5 वर्षों में 16 और वाहन भी नीलाम होगें ऐसे में विभाग के पास केवल 12 वाहन रह जायेंगें। अत: समाचार कवरेज और प्रचार प्रसार के अन्य कार्य तथा पत्रकारों को प्रेस टूर की सुविधा दिये जाने के लिये मुख्यालय और जिला स्तरों पर पर्याप्त वाहन उपलब्ध कराये जाने आवश्यक हैं।
10 . मध्यप्रदेश माध्यम : मध्यप्रदेश माध्यम के समस्त विभाग/शासन के अंतर्गत आने वाले समस्त निगम/निकाय, सहकारी संस्थायें अपने प्रचार प्रसार के समस्त कार्य मध्यप्रदेश शासन जनसंपर्क विभाग की सृजनात्मक संस्था मध्यप्रदेश माध्यम से करायेगी। इस प्रचार अभियान में मुद्रण, आकल्पन, विज्ञापन निर्माण, फिल्म निर्माण,प्रदर्शिनी संयोजन, आउटडोर पब्लिसिटी (होर्डिंग्स,क्यासक),पोस्टर्स,कैलेंडर,डायरी, वाल पेंटिंग, वेबसाइट आकल्पन,ऑडियो वीडियो प्रजेन्टेशन,प्रदर्शिनी एवं दूसरे इवेंट मैनेजमेंट आदि के कार्य सम्मिलित रहेंगें।
11 . अधिकारियों का प्रशिक्षण - पिछले वर्षों में जनसंचार के क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन आये हैं। विभिन्न विधाओं में नूतन प्रयोगों और तकनीकी ने बड़े परिवर्तन किये हैं। ये परिवर्तन केवल तकनीकी क्षेत्र में ही नहीं संचार की अवधारणा भी प्रभावित कर रहें हैं। आधुनिक संचार सुविधाओं से निरंतर जुड़े रहने के लिये आवश्यक है कि माध्यम एवं जनसम्पर्क के अधिकारी नवक्षमता के निर्माण के कार्यक्रमों में भाग लें। बेहतर प्रबंधन, बेहतर कार्य, और बेहतर कार्यशील वातावरण बनाने में ये कार्यक्रम मददगार होगें। माध्यम के फंड से जनसंपर्क विभाग एवं मध्यप्रदेश माध्यम के अधिकारियों को इस प्रकार के कार्यक्रमों में भाग लेने के लिये आयुक्त जनसंपर्क/प्रबंध संचालक, मध्यप्रदेश माध्यम के अनुमोदन के बाद नामांकित किया जायेगा। देश- विदेश में होने वाले क्षमता के ऐसे कार्यक्रमों में भाग लेने के लिये एवं इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करने के लिये माध्यम अपने फंड से रूपये 5 लाख की राशि वित्तीय वर्ष 2007-08 में रखेगा। यह प्रावधान आवश्यकतानुसार प्रतिवर्ष रखा जायेगा।
उपरोक्त संदर्भोंं में विषयवार विस्तृत प्रस्ताव संलग्न है। समिति की अनुशंसा है कि राज्य शासन इन सभी संलग्न प्रस्तावों के अनुसार संसाधन उपलब्ध कराने और पत्रकार कल्याण कार्यक्रम क्रियांवित किये जाने के लिये आवश्यक स्वीकृति,वित्तीय संसाधन और निर्देश प्रदान करें।
हस्ता। हस्ता। हस्ता.
डॉ.भागीरथ प्रसाद ओ.पी.रावत सत्यप्रकाश
तत्कालीन प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा प्रमुख सचिव वाणिज्य एवं उद्योग प्रमुख सचिव गृह
Sunday, December 27, 2009
पत्रकारों एवं समाचार पत्रों के लिए जनसंपर्क विभाग की नीति
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